अब तो हर गली में निर्भया की चीखें हैं
अब तो हर गली में निर्भया की चीखें हैं, अदालतें हैं कि देती सिर्फ तारीखें हैं। लंगड़े सिस्टम, अंधे कानून से आस लगाए बैठे हैं, सबकुछ मालूम फिर भी अपनी जान फंसाए बैठे हैं। इंसाफ पर यहां शकुनि मामा का पहरा है, सत्ता पर बैठे दुर्योधन क्या जाने, ये जख्म कितना गहरा है। विनोद यादव