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Showing posts from August, 2017

सियासत क्या बदली लोगों के ख्याल बदल गये...

सियासत क्या बदली लोगों के ख्याल बदल गये। ख्याल के साथ-साथ सवाल बदल गये। खैर अच्छा है, शायद यही वक्त का इंसाफ है। चलो पता तो चल गया देश की आस्तीनों में कितने सांप हैं।। विनोद विद्रोही

अभी तो सफर में हूं...

अभी तो सफ़र में हूं: ***************** अभी तो सफ़र में हूं, अभी कहां मेरे साथ ये ज़माना चलेगा। मंज़िल बहुत दूर है, अभी तो ठोकरें और ठुकराना चलेगा।। कर ना लेना बात तुम उनसे मिलने की, वर्ना वही व्यस्तता वाला का बहाना चलेगा। चूंकि हैसियत नहीं तुम्हारी आज दो कौड़ी की। तो मुमकिन है तुमपर ही हर निशाना चलेगा।। अभी-अभी तो दिल टूटता है, अभी कुछ दिन और नाम अपना दीवाना चलेगा। और ख़बर है की वो आये हैं, चलो..अब फ़िर उनकी गलियों में आना-जाना चलेगा।। नया नहीं तो क्या हुआ ले आओ, सौ का नोट है पुराना चलेगा। काहे तुम खोले जा रहे हो ये फिजूल की दुकानें। ये आशिकों की बस्ती है साहब, यहां मयखाना या पागलखाना चलेगा।। जाकर चहेरा ही तो दिखाना है आराम से जाओ, अभी तो मुर्दे को नहलाना-धुलाना चलेगा। ये जो भूख है विद्रोही बड़ी बेशर्म होती है। ताजा कहां मांग रहा हूं, पेट भरने के लिये बासी खाना चलेगा।। विनोद विद्रोही

ना पाओगे कलम विद्रोही की चरण-चुम्बन की भाषा में...

सत्ता के ठेकेदारों अपनी खैर मनाओ, गर मिली है कुर्सी तो कुछ कर के दिखाओ। ना रहना कभी किसी प्रलोभन या किसी आशा में । कभी ना पाओगे कलम विद्रोही की चरण -चुम्बन की भाषा में।। विनोद विद्रोही

तलवारें चीर देतीं, सुइयां सिलाई करती हैं...

बल का गुमान हुआ हाथियों को, तो चींटियां चढ़ाई करती हैं। तलवारें तो चीर देतीं, सुइयां सिलाई करती हैं।। विनोद विद्रोही

मैं भी लिख सकता हूं गीत प्रेम के...

यूं तो मैं भी लिख सकता हूं गीत प्रेम के, पर लिखूंगा नहीं। सबब क्या है इसका, ये भी किसी से कहूंगा नहीं।। विनोद विद्रोही

लड़ते आये हो, यूं ही लड़ते रहोगे...

जब तक बिके हुये चैनलों और अखबारों को पढ़ते रहोगे। लड़ते आये हो और यूं ही सदा  लड़ते रहोगे।। क्या रखा है झगड़े वाली इन बातों में। सरकारें आती-जाती रहती हैं, ये सोचो क्या बदलाव आया तुम्हारे हालातों में।। सरकारों का काम आवामों में, नफ़रतों के बीज बोना होता है। कोई मसीहा नहीं यहां विद्रोही, सबको अपना बोझ खुद ही ढोना होता है।। विनोद विद्रोही

जब देखता हूं भीख मांगते बच्चों को चौराहों पर...

उम्र बचपन की, बोझ पचपन का: ************************** जब-जब देखता हूं भीख मांगते बच्चों को चौराहों पर। शर्मिंदा हो उठता हूं देश की व्यवस्थाओं पर।। किसी बेबस बाग के ये, मुरझाये हुये फूल हैं। बचपन क्या होता है, गये ये भूल हैं। कभी इस तो कभी उस गाड़ी के, पीछे दौड़ लगाते हैं। बेचारे पेट की खातिर कहां-कहां, हाथ फैलाते हैं। कभी इसकी दुत्कार, तो कभी उसकी फटकार सुनकर इनके सुध-बुध खो जाते हैं। क्या फुटपाथ, क्या कचरे का ढेर जहां जगह मिली ये बच्चे सो जाते हैं। ज़िंदगी ने जो सबक इन्हें सिखाया है। कोई किताब, किसी स्कूल ने कहां ये पढ़ाया है। कैसे कह दूं ये बच्चे देश का कल हैं। हकीकत तो ये है, दो जून का निवाला भी पाने में ये विफल हैं।। कागजों पर जगमगाती दुनिया के पीछे का ये अंधेरा सूनसान हैं। इनकी भी फिक्र करो साहब, ये भी तो हिंदुस्तान हैं।। विनोद विद्रोही

देश की न्याय व्यवस्था पर उनका विश्वास नहीं...

माना आतंकवाद का कोई रंग नहीं होता। सियासत की बिसात पर जो चालें तुम चल गये ऐसा भी कोई ढंग नहीं होता। अपनी दुश्वारियों का जिन्हें अब भी आभास नहीं। सच कहे विद्रोही देश की न्याय व्यवस्था पर उनका विश्वास नहीं।। विनोद विद्रोही #malegaonblast #co.purohit #supremecourt

जब यही रीत है ज़माने की...

जब यही रीत है ज़माने की। फ़िर क्यों उम्मीद करता है विद्रोही उसके लौट आने की।। जो अपने हैं जो छोड़ के जाया नहीं करते। और मतलबी लोग कभी लौट के आया नहीं करते।। विनोद विद्रोही

तुम्हारे इंतज़ार में कंकाल हो गये...

तुम कपूतों के लिये जो, जी का जंजाल हो गये। वही तुम्हारी राह तकते-तकते, कंकाल हो गये।। विनोद विद्रोही

यूं तो ये दिखते है हरे पर हरे नहीं हैं...

यूं तो ये दिखते है हरे पर हरे नहीं हैं। ज़ख्म जो तू दे गया, वो अभी भरे नहीं हैं। इंतज़ार थोड़ा और कर लो दुनिया से हमारी रुक्सती का। हम लगते मरे हैं पर अभी मरे नहीं हैं।। विनोद विद्रोही

सियासत ने रिश्तों में डाल दिया है मट्ठा...

🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁 ये तो सियासत है जिसने रिश्तों में डाल दिया है मट्ठा। वरना वो भी क्या दिन थे साथ बैठ एक थाली में खाते थे इकट्ठा।। विनोद विद्रोही 🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁 पसंद आए तो शेयर करें संपर्क सूत्र - 07276969415 नागपुर, Blog: vinodngp.blogspot.in Follow me on: twitter@vinodvidrohi, Instagram@vinodvidrohi Facebook: Vinod Vidrohi

चंद पत्थरों से ही तुम घबरा गये...

🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥 चंद पत्थरों से ही तुम घबरा गये। आंखें तिरोर लीं, लाल-पीले हो पगला गये। उनका क्या जो तुम्हारी नाकामियों का बोझ रोज़ उठाते हैं। एक पत्थर की क्या बात करते हो यहां सैकडों पत्थर रोज़ खाते हैं। दूसरों के जख़्मों का कब किसे आभास होता है। बीतती है जब खुद पर तब ही दर्द का एहसास होता है।। विनोद विद्रोही 🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥 पसंद आए तो शेयर करें संपर्क सूत्र - 07276969415 नागपुर, Blog: vinodngp.blogspot.in Follow me on: twitter@vinodvidrohi, Instagram@vinodvidrohi Facebook: Vinod Vidrohi

आ एक-दूजे का सहारा बन जायें...

आ एक-दूजे का सहारा बन जायें: ना हो इस दोस्ती का कोई छोर ऐसा किनारा बन जायें। आ मेरे दोस्त एक-दूजे का सहारा बन जायें। मतलब की इस दुनिया में कहां कौन किसी का होता है। जिसे देखो वो ही ज़िंदगी में ज़हर सा बोता है। एक दोस्त ही तो है जो सुख-दुख हर घड़ी में साथ होता है। साथ हंसता है, साथ रोता है। आ वो बीता हुआ दौर दोबारा बन जायें। आ मेरे दोस्त एक दूजे का सहारा बन जायें। आज भी याद हैं दिन वो पतझड़ों के, जब खड़े हो गये थे हाथ बड़े-बड़ों के। यूं तो हर ग़म दिल में छुपा रहा था, पर सच कहूं दोस्त मन ही मन तुझे बुला रहा था। मेरे दोस्त ही तो हैं जो दिलों के जज्बात समझ जाते हैं। बिन कहे हर बात समझ जाते हैं। इस अंधियारे में चमकता हुआ तारा बन जायें, आ मेरे दोस्त एक दूजे का सहारा बन जायें।। ना हो इस दोस्ती का कोई छोर ऐसा किनारा बन जायें..... विनोद विद्रोही मेरे ह्रदय के करीब रहने वाले सभी मित्रों को समर्पित....मित्रता दिवस की ढेरों शुभकामनाएँ।

कहां ढूँढूं वो कलाई मैं...

आज रक्षाबंधन पर उस बहन का दर्द लिखने कि कोशिश की है जिनके भाई देश के लिये कुर्बान हो गये। ************************** सबकुछ हर दिन जैसा है, कुछ भी तो नया नहीं। क्या दर्द छुपाये बैठी हूं दिल में, कर सकती हर किसी से बयां नहीं। सूना है घर का आंगन, लगता कुछ ना बाकी है। भइया तुम आये नहीं, देखो आज राखी है।। तुमसे ही तो थी हस्ती मेरी, कैसे भूलूं भाई मैं। किसको बांधु ये राखी मैं, ढूंढूं कहां वो कलाई मैं।। तुम कुर्बान हुये वतन पर, किसी फूल कि तरह मुरझाई मैं। आंखें अब भी राह तकती तुम्हारी, फ़िरती दर-दर पगलाई मैं। तुम गये सबको छोड़कर, जिंदा लाश सी बन गयी भाई मैं। किसको बांधु ये राखी, ढ़ूंढूं कहां वो कलाई मैं।। विनोद विद्रोही देश की उन बहनों को समर्पित जिनके भाई देश के लिये शहीद हो गये।। जय हिन्द🇮🇳🇮🇳🇮🇳