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Showing posts from July, 2017

पर्दों में वो बात कहां जो महफ़ूजी है दरवाज़े में...

अक्सर फर्क होता है हकीकत और अंदाजे में, पर्दों में वो बात कहां जो महफ़ूजी है दरवाज़े में। और कल तक जो कहते थे मर ही जाये तो अच्छा। उनको भी आज देखा मैंने उसके जनाजे में।। विनोद विद्रोही

दिल के जख़्मों को क्यों किसी को दिखाना...

दिल के जख़्मों को क्यों किसी को  दिखाना किसी ने खोया तो किसी की किस्मत में था पाना। यूं तो औपचारिक होगा ये बताना। जो तुम अब तक ना आये, तो अब  मत आना।। विनोद विद्रोही

एक दर्द सीने में दबाये बैठा हूं...

एक दर्द सीने में दबाये बैठा हूं, किसी से कुछ ना कहने की कसमें खाये बैठा हूं। घरौंदे बनाकर तोड़ देना खेल होगा तुम्हारे लिये। मैं तो आज भी उस टूटे मकां को आशियां बनाये बैठा हूँ।। विनोद विद्रोही

देश के दामन पर ये दाग, बद से बदतर है...

कश्मीरी इन हालातों से ऐसे मुख ना मोड़ो तुम। दुश्मन की छाती पे चढ़कर हुंकार भरो, वरना कुर्सी छोड़ तुम। अरे देश के दामन पर ये दाग, बद से बदतर है। कोई विशेषाधिकार नहीं एक ज़ख्म सा लगता है, ये जो धारा 370 है।। विनोद विद्रोही

हार को मील का पत्थर बनायेंगे...

इन मायूसियों से ही उम्मीद की, नई किरण निकलेगी। हिमालय है तो क्या हुआ बर्फ इसकी भी पिघलेगी। तुम डंटी रहो पूरे दम-खम से, इस हार को मील का पत्थर बनायेंगे। बस दिल टूटा है हौसला नहीं, दुश्मन की छाती पर चढ़कर विजयी तिरंगा लहरायेंगे।। विनोद विद्रोही जय हिन्द

तुम लड़ीं अंतिम सांस तक...

तुम लड़ीं अंतिम सांस तक, अपने पूरे विश्वास तक। बुलंद हौंसले का परचम तुमने लहराया है। मैच नहीं तो क्या हुआ, तुमने दिल जीत के दिखाया है।। विनोद विद्रोही फिरंगियों से पूरे दम-खम के साथ लोहा लेने वाली भारत की बेटियों को सलाम। जय हिन्द🇮🇳🇮🇳🇮🇳

तुम वर्तमान के जिन्ना हो...

देश की आस्तीनों में छुपे ऐसे ये सांप हैं, जो हर दिन बना रहे ये एक नया बाप हैं। पकिस्तान की गोद में बैठ, कभी अमेरिका तो कभी चीन के तलवे कब तक चाटते जाओगे, कितनी ही कोशिश कर लो इस अखंड राष्ट्र को तुम बांट न पाओगे। इतिहास जिसपर होगा शर्मिंदा ऐसा काला पन्ना हो। कहे विद्रोही ये बात सबसे तुम वर्तमान के जिन्ना हो।। विनोद विद्रोही #farooqabdullah #kashmir #China

पहले कहते थे आशिक, अब कहते पगला है...

वो क्या जाने, ये दिल कैसे-कैसे सम्भला है। जैसे देखी हो कयामत, हर दिन ऐसे-ऐसे निकला है। उसके रहने ना रहने से बस इतना सा बदला है। पहले लोग कहते थे आशिक, अब कहते पगला है।। विनोद विद्रोही

दहक रहा हमारे भी दिल में बदले का अंगारा है...

चीन की गीदड़ भभकियों पर: चल माना तू ताकतवर है, निडर है, पर हमारे भी कहां दबे हुये स्वर हैं। गर तूने फ़िर से हमको ललकारा है , तो आ जा दहक रहा हमारे भी दिल में बदले का अंगारा है। अरे समय के कालचक्र में सबकी बारी आती है। इतना गुमान मत कर, वक्त पड़ने पर एक चींटी भी हाथी पे भारी पड़ जाती है।। विनोद विद्रोही