पर्दों में वो बात कहां जो महफ़ूजी है दरवाज़े में...

अक्सर फर्क होता है हकीकत और अंदाजे में,
पर्दों में वो बात कहां जो महफ़ूजी है दरवाज़े में।
और कल तक जो कहते थे मर ही जाये तो अच्छा।
उनको भी आज देखा मैंने उसके जनाजे में।।
विनोद विद्रोही

Comments

Popular posts from this blog

इस ताज्जुब पर मुझे ताज्जुब है...

जिंदगी इसी का नाम है, कर लो जो काम है...

ढंग की मौत का तो इंतजाम कर दो...