ढंग की मौत का तो इंतजाम कर दो...
वह ताउम्र ढोता रहा जिंदगी का हर बोझ,
पर कंधे पर लाशों का बोझ उससे ढोया ना गया।
अरे आंखें बन चुकी थी समंदर,
पर मजबूरियों के आगे उससे रोया ना गया।
ये तस्वीरें देखकर हमारे नेताओं का दिल क्यों नहीं सिहरता है,
कागजों पर बनी विकासी योजनाओं से कहीं पेट भरता है।।
चाहो तो लूट-खसोट का ये चलने सरेआम कर दो,
ढंग की जिंदगी ना सही, ढंग की मौत का तो इंतजाम कर दो।।
विनोद विद्रोही
पर कंधे पर लाशों का बोझ उससे ढोया ना गया।
अरे आंखें बन चुकी थी समंदर,
पर मजबूरियों के आगे उससे रोया ना गया।
ये तस्वीरें देखकर हमारे नेताओं का दिल क्यों नहीं सिहरता है,
कागजों पर बनी विकासी योजनाओं से कहीं पेट भरता है।।
चाहो तो लूट-खसोट का ये चलने सरेआम कर दो,
ढंग की जिंदगी ना सही, ढंग की मौत का तो इंतजाम कर दो।।
विनोद विद्रोही
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