चलो अच्छा हुआ बरी अपना बजरंगी भाईजान हो गया...

सबकुछ जानकर भी वो अंजान हो गया,
कैसे बतलाऊं कि कौन बेईमान हो गया,
क्या हुआ, कब हुआ सबकुछ अब सवालिया निशान हो गया,
चलो अच्छा हुआ, बरी अपना बजरंगी भाईजान हो गया।


क्या फर्क पड़ता है कौन आया गाड़ी के नीचे, किसने जान गंवाई है,
क्यों भूल जाते हो सबसे बड़ा पैसा मेरे भाई है।।
कौन पूछने वाला है जानवर मरा, या मरा है कोई इंसान,
अंधे इस कानून में दो टके में बिका जाता है ईमान।।

तुम जश्म मनाओ बेहाई का, घर किसी का सूनसान हो गया,
चलो अच्छा हुआ, बरी अपना बजरंगी भाईजान हो गया।


जाने कैसे तुम्हे संदेह का लाभ मिल जाता है,
यहां तो संदेह भी जाए तो जीवन जेलखाना हो जाता है।
काश आमजन के लिए भी न्याय में ऐसी सरलता हो जाए,
तो देश की न्यायपालिका में विश्वास और पुख्ता हो जाए। 


वो मौत बांटकर भी बना सबका दुलारा है,
सचमुच सारे जहां से अच्छा हिंदोस्तां हमारा है।।

 

झूठ की जीत हुई सच बदनाम हो गया,
चलो अच्छा हुआ, बरी अपना बजरंगी भाईजान हो गया।।


विनोद विद्रोही

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