बोए पेड़ बबूल का तो आम कहां से पाए...

बोए पेड़ बबूल का तो आम कहां से पाए,
जो गड्ढा खोदा तुमने, आज उसी में तुम रहे भहराय।
सबूत देकर भी कितना तुमको रहे हम समझाए,

फिर भी आतंकी मा तुमको समाजसेवक नरज आए।

विनोद विद्रोही

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