जब-जब लाघोंगे सीमा तब-तब मुंह की खाओगे...

ना थप्पड़ का समर्थक हूं, ना पक्षधर हूं हिंसा का,
लेकिन इतिहास से खिलवाड़ करने वाले कभी पात्र नहीं हो सकते प्रशंसा का।
अति से क्षति के सिद्धांत को कैसे तुम झुठलाओगे,
जब-जब लाघोंगे सीमा तब-तब मुंह की खाओगे।।
विनोद विद्रोही

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