हमसे ही तुम निकले हो, हम पर ही गुर्राते हो...
हमसे ही तुम निकले हो, हम पर ही गुर्राते हो,
कैसे बेटे हो बाप को आंख दिखाते हो।
चलो माना आज कड़वाहट है, पर इस रिश्ते का कुछ तो मान रख लो,
हमारे पिता होने का थोड़ा तो सम्मान रख लो।
समझते क्यों नहीं बाप के हाथों ये कर्म अच्छा नहीं लगता,
हम तुम पर ताने बंदूक ये दृश्य सच्चा नहीं लगता।
पर क्या करें जो तुम मांग रहे हो उसमें है हमारी आत्मा,
कहीं ऐसा ना हो, कश्मीर के चक्कर में हो जाए तुम्हारा खात्मा।।
विनोद विद्रोही
कैसे बेटे हो बाप को आंख दिखाते हो।
चलो माना आज कड़वाहट है, पर इस रिश्ते का कुछ तो मान रख लो,
हमारे पिता होने का थोड़ा तो सम्मान रख लो।
समझते क्यों नहीं बाप के हाथों ये कर्म अच्छा नहीं लगता,
हम तुम पर ताने बंदूक ये दृश्य सच्चा नहीं लगता।
पर क्या करें जो तुम मांग रहे हो उसमें है हमारी आत्मा,
कहीं ऐसा ना हो, कश्मीर के चक्कर में हो जाए तुम्हारा खात्मा।।
विनोद विद्रोही
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