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Showing posts from 2017

मेरा पेट भरकर, मां को भूखा देखा है।

मजबूरियों के बोझ को बड़ी हिम्मत से ढोते देखा है। मेरी हटों पर चांटा मारकर, मां को रोते देखा है। घर में इक दाना नहीं, मैंने ऐसा सूखा देखा है। फिर भी मेरा पेट भरकर, मां को भूखा देखा है।। विनोद विद्रोही

पाला ना पड़े किसी का निजी अस्पतालों से।

अक्सर भयभीत हो जाता हूं ऐसे भयावह ख्यालों से। पाला ना पड़े किसी का निजी अस्पतालों से।। कदम-कदम पे इतना मांगते जैसे घूस लेते हैं। घर-बार, धन-दौलत ही नही, खून तक चूस लेते हैं।। निजी अस्पतालों की मार से हम ना यूं बेहाल होते। जो देश के सरकारी अस्पताल, सचमुच अस्पताल होते।। विनोद विद्रोही

कैसी भूख थी साहब, जो तुम चारा खा गए।

कभी नदी की मोड़ तो कभी नहर की धारा खा गए। कोई भूखंड तो कोई गली-चौबारा खा गए।। पहले जिसे खा चुके थे तुम उसे दोबारा खा गए। मीठे से जी ना भरा तो तुम खारा खा गए।। बेजुबान पशुओं के जीने का सहारा खा गए। कैसी भूख थी साहब, जो तुम चारा खा गए।। देश की कितनी प्रतिभाएं, ऐसे नकारा खा गए। कैसे बयां करे विद्रोही, ये नेता देश सारा खा गए।। विनोद विद्रोही नागपुर(7276969415)

बरसी मनाने का अधिकार नहीं!

26/11 बरसी: ************** आतंकी हमले की बरसी पर फिर कैंडल लेकर निकलेंगे। जवानों की शहादत पर आज फिर दिल हमारे पिघलेंगे। आज फिर उनके कसीदे पढ़ेंगे, यादों में उनकी झूल जायेंगे, और कल, कौन शहीद काहे की शहादत सब भूल जायेंगे।। जब तक देश इस परिपाठी पर चलता रहेगा, दर्द आतंक का मिला है और मिलता रहेगा। बाकी देश तो सम्भल चुके तुम भी अब सम्भलना सीखो। दुश्मन की छाती पे चढ़कर तुम भी मूंग दलना सीखो।। कथित मित्र अमरीका को कब तक मदद के लिये पुकारोगे। आखिर तुम कब घर में घुसकर हाफिज को मारोगे।। हम रोयें और आतंकी आजाद घूमें ये स्वीकार नहीं। जब तक देश के गुनहगार जिंदा हैं, हमें बरसी मनाने का अधिकार नहीं।। विनोद विद्रोही नागपुर

कुछ नया लिखो।

नया  लिखो: ********* यूं ही सोच रहा था, आज क्या लिखो। कलम ने कहा कुछ नया लिखो। बात सुनकर कलम की सोच मेरी सकपकाई, और खुद पे ही हंसी आयी। फिर दिल ने कहा हर तरफ वही कहानी, वही दर्द तो बयां होता है। कैसे लिखूं, कुछ भी तो नहीं नया होता है।। क्या फर्क पड़ता इसकी या उसकी सरकार है। भूख, गरीबी, हत्या, बलात्कार हर तरफ मेरे यार है। आतंकवाद से लड़ने में भी हम फेल रहे हैं। कभी कम तो कभी ज्यादा हम झेल रहे हैं।। भूलकर ये सब आगे कैसे मैं बढ़ जाऊँ, बिना नये के नया कैसे लिख पाऊँ। कैसे कहूं कितनी पीड़ा ह्रदय में छुपाये बैठा हूं, एक नये भारत की आस मैं तो कब से लगाये बैठा हूं।। विनोद विद्रोही नागपुर

हर हाल में सूरज को आना होगा।

एक गीत: हर हाल में फर्ज अपना निभाना ही होगा। अंधेरे को चीरकर सूरज को आना ही होगा। दुखों की रात कट जायेगी, गमों की खाई पट पायेगी। कभी आंसू तो कभी हंसी, ये ज़िंदगी यूं ही कट जायेगी।। उजाले को अपना फर्ज निभाना ही होगा। अंधेरे को चीरकर सूरज को आना ही होगा।। क्या हुआ जो तेरे अपने तुझे छोड़ गये। नाजुक से थे रिश्ते आसानी से तोड़ गये। वो अपनी राह गये, तुझे भी अपनी राह जाना ही होगा। अंधेरे को चीरकर सूरज को आना ही होगा।। चूंकि मुफलिसी में हूं तो लोग अब ज्यादा बोलते नहीं। मेरे जान लेते हैं, अपने राज़ खोलते नहीं।। दर्द तुझे भी विद्रोही, अब छुपाना ही होगा। अंधेरे को चीरकर सूरज को आना ही होगा।। विनोद विद्रोही नागपुर

एक खत देश की बेटियों के नाम।

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लिखता हूं इक ख़त मैं देश की हर बेटी के नाम। बेटियों पढ़ लेना तुम इसको छोड़कर हर काम। यूं तो नाम से तुम्हारे देश में कई अभियान चल रहे हैं। लेकिन इन अभियानों के ना आज ना तो कोई कल रहे हैं।। तुम्हारे सम्मान के लिये हर तरफ दिखावा होगा। पर सच कहूं कदम-कदम पर साथ तुम्हारे छलावा होगा।। दिन के उजाले में जो लोग बेटियों पर बड़े-बड़े भाषण झाड़ते हैं। रात के अंधेरे में यही लोग किसी अबला के कपड़े फाड़ते हैं।। लेकिन बेटियों तुम घबराना नहीं, तुम्हें अपनी ताकत को पहचानना होगा। देश ने पहले भी माना है, आगे भी  तुम्हारे नाम का लोहा मानना होगा।। मुझसे विश्वास है तुमपर, तुम्हें जो कहना है वो सबसे कही दोगी। हां तुम सीता ज़रूर हो, लेकिन हर दौर में तुम अग्निपरीक्षा नहीं दोगी।। तुम दुर्गावति हो, पद्मवति हो, तुम ही रानी लक्ष्मीबाई हो। तो कभी देश की खातिर बेटा कटा  देने वाली पन्ना दाई हो।। तो बेटियों अपने अस्तित्व की नाव तुम्हें ही खेना है, अब ये पतवार उठा लो। गर सियासत तुम्हारा इस्तेमाल करे, तो ये सरकार उठा लो।। बेटियों अपने सम्मान की गिरी अब हर दीवार उठा लो। जो भेड़िये हद से आगे बढ़ने ल

अब मुझको गांव जाना है...

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बस यूं ही: व्यक्ति स्वाभाव

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बस यूं ही: हम मल्टीप्लेक्स में कोई फिल्म देखने जाते हैं तो केवल 3 घंटे के भीतर 1000-500 रुपये खुशी-खुशी उड़ा देते हैं। लेकिन जब महीने के आखिरी में केबल वाला महीने भर केबल देखने के 250-300 रुपये मांगने आता है तो कुछ लोग ऐसे नाक-मुंह सिकोड़ते हैं, जैसे उसने जायदाद मांग लिया हो। "तेरा तो केबल ही ढंग से नहीं आता, रोज लाइट जाती है। स्टार स्पोर्ट्स क्यों नहीं आता, फ्लां चैनल क्यों नहीं आता और जाने क्या-क्या कथायें केबल वाले को सुनाते हैं।" 😊 😊 मौलिक विनोद विद्रोही नागपुर

बुलंदियों की ख्वाहिश तो मुझको भी है।

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जो अलगाववाद की बात करे, उसकी सांसें बंद करो।

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हां...गब्बर जिंदा है!

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हां..गब्बर जिंदा है: **************** आज शोले का ठाकुर खूब झल्लाया है, जय-वीरू पर उसने धोखाधड़ी का आरोप लगाया है। ठाकुर बोला तुम और तुम्हारे काम दोनों नकारा हैं। पैसे लेकर भी तुमने गब्बर को नहीं मारा है।। जिसे देखो गब्बर का काम बता रहे हैं। और तो और अब तो टैक्स पर भी गब्बर का नाम बता रहे हैं। अरे अपने किये वादों को क्यों तुमने तोड़ दिया। आखिर क्या मजबूरी थी जो तुमने गब्बर को जिंदा छोड़ दिया।। जय-वीरू बोले ठाकुर साहब आपके सामने ही तो गब्बर ताबूत में पैक हुआ था। लेकिन ये क्यों भूल जाते हो कुछ दिन पहले ही तो.... "गब्बर इज बैक" हुआ था। ठाकुर साहब गब्बर को लेकर हम ताउम्र शर्मिंदा रहेंगे। क्योंकि कितने ही गब्बर हम मार लें, लेकिन हर दौर में गब्बर जिंदा रहेंगे।। इतने में लड़खड़ाती जबान में रहीम चाचा बोले.... तुम लोग खामखां परेशां होते हो, गब्बर वो घी है जो कभी नहीं पिघलेगा। और कितने गब्बर मारोगे हर घर से गब्बर निकलेगा।। विनोद विद्रोही नागपुर 7276969415

तुम साथ निभाना अंधेरे का!

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हर दीया जानता है अपना फर्ज निभाना। जो जलाओगे तो हर हाल में उजाले को है आना।। यूं तो शब और सुबह जीवन के दो अटल सत्य हैं। पर जब बात हो साथ देने की तो तुम अंधेरे को अपनाना।। विनोद विद्रोही दीपावली की ढेरों शुभकामनाएं।💐💐

हां सच है...भावनाओं को समझो।

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हां सच है...भावनाओं को समझो: ************************** यूं तो आज काम बहुत थे, लेकिन एक दोस्त के जिद करने उसके साथ दोपहर 12 बजे एक कंपनी के वेयर हाउस(गोदाम) में जाना पड़ा। दोस्त घर पर लेने आया, फिर उसकी बाइक पर बैठकर हम चल दिये। रास्ते भर में बात-चीत करते 20 किलोमीटर का सफ़र आसानी से खत्म हो गया। हम कंपनी के गोदाम पहुंचे। कंपनी बड़ी थी इसलिये यहां सुरक्षा व्यवस्था भी पर्याप्त दिखी। अंदर जाते समय सुरक्षा गार्ड ने जरूरी जानकारियां अपने रजिस्टर में दर्ज की और हमें जाने के लिये कहा। मैं उसकी ओर मुस्कुरा कर देखा और धन्यवाद कह कर आगे बढ़ा ही था की उसने मुझे टोका और कहा "सर कहां से हो"। उसका इतना कहना था की मेरे मित्र ने मेरा हाथ पकड़कर बोला  "अबे छोड़ना यार चल अंदर चलें"। दोस्त की बात को दरकिनार करते हुये मैं सुरक्षा गार्ड के पास गया और बोला वैसे तो नागपुर रहता हूं,. किंतु मूलतः हम इलाहबाद के पास प्रतापगढ़ के हैं। इतना कहकर मैं आगे बढ़ गया। लेकिन इलाहबाद-प्रतापगढ़ का नाम सुनकर सुरक्षाकर्मी के चेहरे पर जो कौतुहलता दिखी उससे मैं समझ गया हो ना ये शख्स भी वहीं-कहीं आसपा

कलाम साहब को जन्मदिन की ढेरों शुभकामनाएं।

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आज जन्मदिन पर पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम जी को समर्पित। मुफलिसी का जीवन था ध्यान लक्ष्य से फिर भी हटा नहीं। कोशिशें तो बहुत हुई उसे बांटने की, वो शक्स फिर भी बंटा नहीं। मज़हब की दीवारें कभी रोक ना पायी उसका रास्ता। इंसानियत को ही उसने इबादत बना लिया। वतन के नाम कर दिया सारा जीवन। देशभक्ति को उसने आदत बना लिया।। उस मिसाइल मैन का जीवन ही एक मिसाल है। कभी बुझने ना देना जलाये रखना, जला के गया जो वो मशाल है।। ऐ मेरे देश के फूलों जो ना घबराए तुम कभी कांटों की पनाहों में। बाहें फैलाया कलाम मिलेंगे तुम्हें हर गली चौराहों में।। विनोद विद्रोही जन्मदिन की ढेरों शुभकामनाएं।💐💐

....है शायद!

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.....है शायद! *************** नज़रें बार-बार मुड़कर किसी को ढूंढती हैं। लगता है किसी ने पुकारा है शायद।। इस दिल का कोई इलाज मुमकिन नहीं। फिर हुआ इसे वही वहम दोबारा है शायद।। कल दूर से देखते ही फेर ली थीं नज़रें उसने। अभी-अभी नज़रों से उतारा है शायद।। चांद सुबक रहा है ओढ़े बादलों की एक चादर। टूटा फिर कोई सितारा है शायद।। और यूं अचानक हाथ क्यों छोड़ दिया तुमने । मिल गया कोई किनारा है शायद।। विनोद विद्रोही नागपुर

बिन पटाखे दीवाली सून!

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आम जन की भावनाओं पर इस कदर नहीं वार करना चाहिये। सम्माननीय न्यायलय को अपने फैसले पर पुनः विचार करना चाहिये।। माना पटाखे घात हैं स्वच्छ वातावरण के संकल्पों पर। किंतु पहले नज़र तो डालो इसको दूषित करने वाले अन्य विकल्पों पर।। दीवाली तो साल में एक बार ही मनाते हैं। पर उनका क्या साहब, जो रोज प्रदूषण फैलाते हैं।। अदालत के हर फैसले को, मेरी कलम सदा सम्मान कहेगी। पर सच तो ये भी है ये दीवाली ऊंची दुकान और फीका पकवान रहेगी।। सुन लो गर ना तुमने अब तक सुना होगा। प्रजा जश्न मनायेगी और दरबार सूना होगा।। विनोद विद्रोही नागपुर(7276969415)

कसूरवार कौन....?

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दो अलग-अलग विचारधाराओं के हम दो दोस्त फेसबुक और वट्स-एप पर खूब लड़े। लेकिन जब मिले तो मिलते ही गले लग गये। उसने कहा अबे तू पतला हो गया, मैंने कहा तू मोटा हो गया। उसने कहा पार्टी कहां दे रहा मैंने कहा तू जहां बोल। हम दोनों दोस्त अपने स्कूल के दिनों और बचपन में खो गये। ऐसा लगा ही नहीं हमारी विचारधाराएं अलग हैं या हम लड़े हैं। सारा दिन मस्ती के बाद हम दोनों फ़िर लगे मिले और अपने-अपने घर चले गये। घर पहुंचकर फेसबुक वट्स-एप पर फ़िर विवाद जारी है।। विनोद विद्रोही #सोशल मीडिया

देख ले गांधी ये तेरे ही देश के लाल हैं।

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देख ले गांधी ये तेरे ही देश के लाल हैं। तेरे विचार छोड़ो, तेरी हत्या तक पर उठा रहे सवाल हैं।। ये वही लोग हैं जो तुझे कहते तो हैं राष्ट्रपिता। लेकिन इनके लिये तू अब तक है एक दहकती हुई चिता।। जिसपर ये अपने स्वार्थ की रोटी अक्सर सेंकते हैं। गांधी नामक गेंद कभी इस तो कभी उस पाले में फेंकते हैं।। ये जिसपर बैठे हैं, काट रहे वही डाल हैं। तेरे ही देश में गांधी तेरे बड़े बुरे हाल हैं।। देख ले गांधी ये तेरे ही देश के लाल हैं.... विनोद विद्रोही नागपुर(7276969415) #फ़िरखुलेगागांधीहत्याकेस

इंसान खुद यहां भगवान बन बैठे!

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ये अंध नतमस्तकी है, श्रद्धा से दिया कोई तोहफ़ा नहीं है। और ये कानून की कुर्सी है, तुम्हारे घर का सोफा नहीं है।। अस्थियां विसर्जित कर दी हैं तुमने अपनी अन्तरात्माओं जी। तभी तो चल रही हैं दुकानें, पाखंड के इन आकाओं की।। राम नाम का जाप करने वाले, ये दिल से हैवान बन बैठे। ऐ मेरे मालिक नहीं रही तेरी ज़रूरत अब यहां। इंसान खुद यहां भगवान बन बैठे।। विनोद विद्रोही नागपुर(7276969415)

...और विद्रोही सो गया।

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यादों के झरोखे से: यूं ये तस्वीर पुरानी है लेकिन आज अचानक सामने आ गयी तो सोचा आप मित्रों से साझा किया जाये। मुंबई में नाइट शिफ्ट के दौरान ख़बर ना होने पर...माफ कीजियेगा ख़बर हो ना हो  इस तरह कि गुस्ताखी हर चैनल का पत्रकार करता है। मौका देख कर वह एक नींद तो मरता ही है। खैर इसका भी अलग मजा है।

...कि पैसा बोलता है!

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...पैसा बोलता है हाल क्या है दिल का, ये कोई ना जानत है। जिसे लेकर भागे तुम, वो हमारी गाढ़ी कमाई और अमानत है।। चट गिरफ्तारी और पट, मिल जाती जमानत है। ऐसी लचर व्यवस्था पर, सिर्फ़ और सिर्फ़ लानत है।। हथकड़ियों में हों कितने ही ताले, ये सब खोलता है। सच ही कहा है लोगों ने, कि पैसा बोलता है।। विनोद विद्रोही नागपुर(7276969415) #विजयमाल्या #गिरफ्तारी

बचना मुश्किल है सच की धार से...

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गर बोल दिया जाये तो, कलेजा तार-तार हो जाता है। नाम इसका "सच" है साहब, जितना इस्तेमाल हो उतना धारदार हो जाता है।। विनोद विद्रोही

अपनी ही खता पे संयम खो बैठे।

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तुम तो चमकते सूरज भी नहीं, फ़िर क्यूं इतनी गर्मी दिखा रहे हो। खुद औकात भूले बैठे हो, और दूसरे की औकात बता रहे हो।। अपनी ही खता पर तुम, अपना ही संयम खो बैठे। जो कमाया था नाम थोड़ा-बहोत, वो सारा धो बैठे।। विनोद विद्रोही

धरती के लाल को वंदन ...

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धरती के लाल को वंदन: ******************** व्यक्तित्व उसका ऊंचा, छोटा कद और काठी था। वो किसानों का मसीहा, कमजोरों की लाठी था।। देश पर न्योछावर कर दिया, अपना जीवन सारा। एक मंत्र सा लगता था, जय जवान जय किसान का नारा।। वो जब तक जिया अपनी, ईमानदारी और खुद्दारी से। वो बात अलग है, वो मौत की नींद सो गया। कुछ अपनों की गद्दारी से।। विनोद विद्रोही

राष्ट्रपिता को जयंती पर शत-शत नमन।

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राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी जयंती पर उन्हें शत-शत नमन। दोस्तों गांधी जी पर लिखी अपनी एक पुरानी कविता आपसे आज साझा कर रहा हूं। यह कविता मैंने तब लिखी थी जब राजनीतिक महकमों में गांधी और खादी को लेकर काफ़ी हो-हल्ला मचा था। राजनीतिक स्वार्थ के लिये हर कोई गांधी को इस्तेमाल करता दिखाई दे रहा था। हालांकि परिस्तिथियां आज भी वैसी ही हैं। ये पंक्तियां आज भी प्रासंगिक लगती हैं इसलिये सोचा आप लोगों तक पहुंचाई जाये। कविता थोड़ी लम्बी ज़रूर है लेकिन ध्यान से पढ़ोगे तो आपके दिल को ज़रूर छूयेगी सच बताओ, ये झगड़ा सचमुच खादी या गांधी कि हस्ती है। या फ़िर सबके लिये ये लम्हा मौका परस्ती का है। ये सवाल ना किसी शहर का ना किसी बस्ती का है। मुझे तो लगता ये सारा मसला ही जबरदस्ती का है।। क्योंकि अफ़सोस, गांधी आज नोट में हैं पर विचारों में नहीं, वोट में हैं पर अधिकारों में नहीं। सवालों में हैं पर जवाबों में नहीं। किताबों में हैं पर ख्यालों में नहीं। उम्मीदों में हैं पर इरादों में नहीं। कसमों में हैं पर वादों में नहीं। और गांधी हमारी बातों में हैं पर जज्बातों में नहीं।। गांधी आंखों में हैं, पर

सवाल दूध में मलाई का है....

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सवाल दूध में मलाई का है: ************************ मेरे घर के पड़ोस में रहने वाले एक मुंहबोले चाचा जी का इलाके में यूं तो काफ़ी रुतबा है। समाजिक कार्यों में भी अक्सर बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं। लेकिन   उनकी एक खासियत ये है कि काम जो भी करते हैं उसमे अपना फायदा ज़रूर देखते हैं। अगर फायदा ना हो तो वो उस काम को छोड़ देते हैं। काफ़ी साल पहले उन्होंने अपने 3 दशक पुराने दूधवाले को यह कहकर बंद कर दिया कि अब तुम्हारे दूध में मलाई नहीं आ रही है। दूध वाले ने उन्हें काफ़ी समझाया पर वो नहीं माने और  एक दूसरे दूधवाले से नाता जोड़ लिया। चूंकि उस दूसरे दूधवाले को भी अपना माल बेचना था और चाचा जैसी रुतबेदार चंदी(ग्राहक) मिल जाये तो क्या कहने और फ़िर उसे चाचा के इलाके में भी तो अपना सिक्का ज़माना था। तो उसने चाचा को खूब मलाई वाला कोरा दूध पिलाना शुरू किया। हालांकि चाचा जिस मलाई कि उम्मीद कर रहे थे वो उन्हें अब भी नहीं मिल रही थी। लेकिन पहले के दूधवाले कि तुलना में इसके दूध में मलाई ठीक थी तो चाचा भी चलने दे रहे थे। वहीं दूधवाला भी समय-समय पर चाचा जी को आश्वाशन देते रहता था की एक दिन उसके दूध से मोटी

अंदर के रावण का क्या?

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बाहर के रावण को जलाने से, कुछ ना होगा। दहन तुम्हें अंदर के रावण का, करना होगा। एक दिन दशहरा मना लेने से, कुछ ना होगा। यहां तुम्हें हर दिन दशहरा मनाना होगा।। राम बेचारा करे भी तो, क्या करे वो तो आसा और डेरे वालों से शर्मिंदा। जरा नज़रें घुमा के देखो तो  साहब, हर दिन सीता का हरण होता है हर गली में रावण जिंदा है।। राम बेचारा क्या करे, वो तो शर्मिंदा है। कैसे कह दूं कि सीता सुरक्षित है, और फूल अमन के यहां खिल जायेंगे। जो निकलोगे ढूंढने तो, राम के भेष में कई रावण मिल जायेंगे।। नहीं चाहता विद्रोही मर्यादा पुरुषोत्तम का अपमान करना। लेकिन सच कहता हूं, मुश्किल हो गया है आज राम और रावण कि पहचान करना।। विनोद विद्रोही नागपुर दिल से बुराई पर अच्छाई की जीत का संकल्प करें। विजयदशमी की आपको और आपके परिवार को ढेरों शुभकामनाएं।💐💐 जय श्रीराम

मुंबई के एल्फिंस्टन स्टेशन पर मारे गये लोगों को श्रधांजलि।

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माना यूं तो जिंदगी गुजरती ही है भाग-दौड़ में। पर दुख होता है जब ये ख़त्म हो जाती है भगदड़ में।। विनोद विद्रोही मुम्बई के एल्फिंस्टन स्टेशन पर भगदड़ में मारे गये लोगों को अश्रुपूर्ण श्रधांजलि।

विनोद विद्रोही की पाकिस्तान को चेतावनी...

मां भारती के लाल को शत शत नमन...

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फिरंगियों कि जड़े हिला दी, फर्ज को अपने तत्पर समझा। गुलामी कि बेड़ियों के बदले, सूली पर चढ़ जाना बेहतर समझा।। कुर्बान हुआ वो वतन पर, वो वतन के लिए ही बना था। धन्य है वो मां, धन्य है वो कोख जिसने उस जैसा सपूत जना था।। वंदे मातरम के जयकारे से, सराबोर ये सारा जगत हो जाये। हे मां भारती आशीष दो, देश की युवा पीढ़ी भगत हो जाये।। विनोद विद्रोही मां भारती के अमर सपूत शहीद भगत की जयंती पर उन्हें शत शत नमन। वंदे मातरम..जय हिन्द।

सुना है पाकिस्तान आतंकवाद से पीड़ित है...

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चोरी का ढिंढोरा सबसे पहले चोर ही पीटता है। सुना है पाकिस्तान ने कहा है की वह आतंकवाद से पीड़ित है।। विनोद विद्रोही नागपुर (7276969415) #व्यंग्य #आतंकवाद #पाकिस्तान #यूएन

इस ताज्जुब पर मुझे ताज्जुब है...

आज सुबह घर से बाहर जाने के लिये तैयार हो रहा था की टेबल पर रखा फोन गुर्राने लगा। देखा तो दिल्ली के एक दोस्त का फोन था। दरसल इस दोस्त से एक बार ही मिला हूं वो भी 10 साल पहले अलीगढ़ यूनिवर्सिटी की एक कार्यक्रम में मुलाकत हुई थी। आज अचानक उसका फोन देख उतनी हैरानी नहीं हुई जितनी हैरानी उससे बात करने के बाद हुई। शुरुआत में हाल-चाल और इधर उधर की बात के बाद उसने कहा... "यार आजकल तुम्हारे पोस्ट फ़ेसबुक पर पढ़ते रहता हूं। तुम्हारी हिंदी काफ़ी अच्छी है। लेकिन इस बात पर बड़ा ताज्जुब है की तुम तो नागपुर रहते हो जो महाराष्ट्र में आता है, फ़िर इतनी अच्छी हिंदी कैसे सीख गये।" दोस्त कि यह बात सुनकर मुझे उससे ज्यादा ताज्जुब हुआ। वहीं मेरा मन 9 साल पहले आईआईटी कानपुर के उस प्रोग्राम में चला गया जहां एक वाद-विवाद स्पर्धा के कार्यक्रम में संचालक ने भी मुझे मजाक में ही सही लेकिन कहा था "काफ़ी हैरानी और खुशी की बात है कि नागपुर महाराष्ट्र से भी कोई हिंदी स्पर्धाओं का प्रतिनिधित्व कर रहा है" दोस्तों ताज्जुब मुझे इस बात पर है की अच्छी हिंदी बोलने पर कोई हैर

क्या कोई सपने खरीदेगा...

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बस घर के जयचंदों से हारे हैं...

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मुंगेरीलाल वाले ये ख्वाब तुम्हारे, जैसे दरिया के दो किनारे हैं। कश्मीर क्या हम पाकिस्तान भी तुमसे ले लेते। बस घर के जयचंदों से हारे हैं।। विनोद विद्रोही नागपुर(7276969415)

आतंकियों के लिये लाभप्रद योजना...

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72 हूरों के ख्वाब देखने वाले आतंकियों के लिये भारतीय सेना प्रमुख विपिन रावत ने एक शानदार और बेहतरीन योजना ऐलान किया है। पाकिस्तान की गरीबी, साथ ही वहां ज़मीन के भयंकर अभाव और आतंक के प्रति उनकी कर्तव्यपरायणता को देखते हुये भारतीय सेना प्रमुख ने ये उदारतापूर्ण क़दम उठाया है। जिसके तहत पाकिस्तान से सरहद के रास्ते हिंदुस्तान में घुसने वाले सभी लोगों को 2.5 फिट ज़मीन इमान स्वरूप दी जायेगी। अतः कश्मीर की आज़ादी का दम भरने और जेहाद का परचम लहराने वाले सभी निष्ठावान आतंकियों से गुजारिश है की वो इस योजना का ज्यादा से ज्यादा लाभ उठायें और अपने अन्य साथियों को भी इससे अवगत करायें। अपने साथ एक और आतंकी को लाने वाले को अतिरिक्त 2.5 फिट ज़मीन दी जायेगी...जिसका उपयोग वो अपने अन्य साथियों अथवा रिश्तेदारों के लिये कर सकता है। नोट: इस योजना की कोई समय सीमा नहीं है...आतंकी इसका लाभ हमेशा उठा सकेंगे। *कभी भी आयें, हमेशा पायें* विनोद विद्रोही नागपुर(7276969415)

दिल में हूं और हमेशा रहूंगा,,,

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दोस्त जब भी मुझसे पूछते हैं कि कहां है। मैं भी मुस्कुरा के कह देता हूं, दिल में और हमेशा रहूंगा।। विनोद विद्रोही

...और मैं निरुत्तर हो गया।

कल रात को घर लौटते वक्त बरसात हो रही थी। चूंकि रात काफ़ी हो चुकी थी तो मैंने कहीं रुकना ठीक नहीं समझा। गाड़ी के मीटर की सुइयों ने 20 पार किया ही था की मेरी नज़र एक बुजुर्ग व्यक्ति पर पड़ी जो फुटपाथ पर एक कोने में दुबक कर, एक बरसाती ओढ़े सोने की कोशिश कर रहा था। उस बुजुर्ग को देख मैंने गाड़ी के ब्रेक लगा दिये। मैं उस बुढ़े व्यक्ति के पास गया और कहा बाबा क्या हुआ घर नहीं गये। बाबा ने जो जवाब दिया उसे सुनकर मैं अंदर तक हिल गया। बाबा ने लड़खड़ाती ज़बान से कहा... "ये देश ही मेरा घर है...पराये मुल्क से जबरदस्ती घुस आये लोगों के समर्थन में जिस तरह देश आज सड़कों पर है। उनको   यहां बसाने के लिये आंदोलन हो रहे हैं। अगर उसका 1प्रतिशत भी कोई हमारे लिये लड़ता तो आज हमारे सर पर भी छत होती" उस बुजुर्ग की बातों ने मुझे निरुत्तर कर दिया। मैंने बाबा का हाथ पकड़ा और उन्हें पास ही एक टीन के शेड के नीचे बिठा दिया और गाड़ी चालू कर घर की ओर चल दिया। रास्ते भर बाबा के कहे एक-एक शब्द कानों में गूंजते रहे और बहुत कुछ सोचते-सोचते कब घर आ गया पता ही नहीं चला। विनोद विद्रोही नागपुर(7276969415) #रोहिंग्

तुम जैसों से ही दिल घायल है वतन का...

तुम ही तो कहते हो देश में, असुरक्षा का महौल है। फ़िर रोहिंग्यायों के समर्थन में कैसे ये बोल हैं। कुछ और नहीं, ये उदाहरण  तुम्हारे चरित्र के दोगलेपन का। तुम जैसे से ही दिल घायल है  मेरे वतन का।। विनोद विद्रोही  नागपुर(7276969415)

मैं कवि वीररस का...

कवि वीर रस का: *************** मैं ठहरा कवि वीररस का, ये श्रॄंगार, प्रेम लिखना कहां मेरे बस का। मैं तो देश के माथे पे जख़्मों की कहानी लिखता हूं। मां भारती की पीड़ा और आंखों का पानी लिखता हूं। सरहद का सैनिक तो नहीं, लेकिन कलम का सिपाही हूं। वतन के नाम मैं अपनी सारी, सारी ज़िन्दगानी लिखता हूं।। मां भारती की पीड़ा और आंखों का पानी लिखता हूं। मुझसे तुम बात करो मुल्क के जयकारे और वंदे मातरम के जस का। मैं ठहरा कवि वीररस का, ये श्रॄंगार, प्रेम लिखना कहां मेरे बस का।। विनोद विद्रोही नागपुर(7276969415)

हिंदी का ये हाल कैसा है...

हाल-ए-हिंदी: *********** होना चहिये था जिसे देश के माथे की बिंदी। पर अफसोस कहीं कोने में पड़ी सिसक रही है हिंदी।। कुछ कलम के सिपाही ज़रूर हैं जो हिंदी की लाज बचा रहे हैं। वरना आलम तो ये है की लोग हिंदी बोलने तक से शरमा रहे हैं।। अब भी वक्त है जागो हिंदी पर जमी ये अंग्रेजी बर्फ फोड़नी चहिये। राष्ट्रभाषा के दर्जे से भी ज़रूरी है, रगों में हिंदी दौड़नी चहिये।। विनोद विद्रोही नागपुर(7276969415)

प्यार तु्म्हारा नोटबंदी निकाला...

विद्रोही अंदाज़ से थोड़ा हट के(just for fun) प्यार तुम्हारा नोटबंदी निकला। कितनी तकलीफें झेलीं फ़िर भी सफल ना हुये।। विनोद विद्रोही

अच्छे दिन: सवाल बड़े जवाब छोटा

अच्छे दिन पर बड़े सवाल उठाने वालों को छोटा सा जवाब: ************************** कुंठा से ग्रस्त आखिर कब तक सरकारों के दिन गिनना होगा। गर सचमुच है चाहत अच्छे दिन की, तो खुद भी तुम्हें अच्छा बनना होगा।। ठंडे पड़े लोहे को आग में, तपना तो सिखाया। शुक्र है किसी ने अच्छे दिन का, सपना तो दिखाया।। अच्छे दिन कहीं आसमान से तो नहीं आयेंगे। ये तो तब ही मुमकिन है जब सब मिलकर हाथ बटायेंगे।। विनोद विद्रोही

राज-ए-दिल विद्रोही तुम्हें, बता रहा है।

राज-ए-दिल विद्रोही तुम्हें, बता रहा है। सिखाया तो बहुत लोगों ने, पर खुद से जो सीखा वही काम आ रहा है।। विनोद विद्रोही

अपना गुस्सा निकालने के दो आसान तरीके:

अपना गुस्सा निकालने के दो आसान तरीके: पहला: सरकार को खूब गरियाओ। दूसरा: फ़िर भी मन ना भरे तो बाकी ठीकरा मीडिया पर फोड़ दो। आजमा कर देखिये साहब आज कल ये नुस्खा काफ़ी चलन में है, तुरंत आराम पहुंचता है। विनोद विद्रोही

तुम तलवार लाओ, मैं कलम लाता हूं...

तुम तलवार लाओ, मैं कलम लाता हूं, देखेंगे किसपर किसका ऐतबार ज्यादा है। तुम भी चलाओ मैं भी चलाता हूं, पता चलेगा किसके इसमें धार ज्यादा है।। विनोद विद्रोही

हर हिंदुस्तानी की आवाज़...

हर हिंदुस्तानी की आवाज़: ********************* मतभेद गर वैचारिक हैं, तो ये मुख सदा स्वीकार बोलेंगे। जो उंगली उठी देश पर, तो लब मेरे शोले और अंगार बोलेंगे। हर क़दम बढ़ता है हमारा देश की, आन-बान और शान के लिये। इतना समझ लो, शीश काट और कटा भी सकते हैं हिंदुस्तान के लिये।। विनोद विद्रोही

ये जूता है साहब...

सिर्फ़ चलने के ही काम नहीं आता है। ये जूता है साहब, इंसान का वक्त भी बताता है।। विनोद विद्रोही

दिल की पीर ना सुन पाये तुम...

तुमने शहर बदला ठीक था लेकिन जज्बात बदल लेना ठीक नहीं। दुनिया का शोर तो तुमने सुन लिया, मेरे दिल की पीर ना सुन पाना ठीक नहीं।। विनोद विद्रोही

सियासत क्या बदली लोगों के ख्याल बदल गये...

सियासत क्या बदली लोगों के ख्याल बदल गये। ख्याल के साथ-साथ सवाल बदल गये। खैर अच्छा है, शायद यही वक्त का इंसाफ है। चलो पता तो चल गया देश की आस्तीनों में कितने सांप हैं।। विनोद विद्रोही

अभी तो सफर में हूं...

अभी तो सफ़र में हूं: ***************** अभी तो सफ़र में हूं, अभी कहां मेरे साथ ये ज़माना चलेगा। मंज़िल बहुत दूर है, अभी तो ठोकरें और ठुकराना चलेगा।। कर ना लेना बात तुम उनसे मिलने की, वर्ना वही व्यस्तता वाला का बहाना चलेगा। चूंकि हैसियत नहीं तुम्हारी आज दो कौड़ी की। तो मुमकिन है तुमपर ही हर निशाना चलेगा।। अभी-अभी तो दिल टूटता है, अभी कुछ दिन और नाम अपना दीवाना चलेगा। और ख़बर है की वो आये हैं, चलो..अब फ़िर उनकी गलियों में आना-जाना चलेगा।। नया नहीं तो क्या हुआ ले आओ, सौ का नोट है पुराना चलेगा। काहे तुम खोले जा रहे हो ये फिजूल की दुकानें। ये आशिकों की बस्ती है साहब, यहां मयखाना या पागलखाना चलेगा।। जाकर चहेरा ही तो दिखाना है आराम से जाओ, अभी तो मुर्दे को नहलाना-धुलाना चलेगा। ये जो भूख है विद्रोही बड़ी बेशर्म होती है। ताजा कहां मांग रहा हूं, पेट भरने के लिये बासी खाना चलेगा।। विनोद विद्रोही

ना पाओगे कलम विद्रोही की चरण-चुम्बन की भाषा में...

सत्ता के ठेकेदारों अपनी खैर मनाओ, गर मिली है कुर्सी तो कुछ कर के दिखाओ। ना रहना कभी किसी प्रलोभन या किसी आशा में । कभी ना पाओगे कलम विद्रोही की चरण -चुम्बन की भाषा में।। विनोद विद्रोही

तलवारें चीर देतीं, सुइयां सिलाई करती हैं...

बल का गुमान हुआ हाथियों को, तो चींटियां चढ़ाई करती हैं। तलवारें तो चीर देतीं, सुइयां सिलाई करती हैं।। विनोद विद्रोही

मैं भी लिख सकता हूं गीत प्रेम के...

यूं तो मैं भी लिख सकता हूं गीत प्रेम के, पर लिखूंगा नहीं। सबब क्या है इसका, ये भी किसी से कहूंगा नहीं।। विनोद विद्रोही

लड़ते आये हो, यूं ही लड़ते रहोगे...

जब तक बिके हुये चैनलों और अखबारों को पढ़ते रहोगे। लड़ते आये हो और यूं ही सदा  लड़ते रहोगे।। क्या रखा है झगड़े वाली इन बातों में। सरकारें आती-जाती रहती हैं, ये सोचो क्या बदलाव आया तुम्हारे हालातों में।। सरकारों का काम आवामों में, नफ़रतों के बीज बोना होता है। कोई मसीहा नहीं यहां विद्रोही, सबको अपना बोझ खुद ही ढोना होता है।। विनोद विद्रोही

जब देखता हूं भीख मांगते बच्चों को चौराहों पर...

उम्र बचपन की, बोझ पचपन का: ************************** जब-जब देखता हूं भीख मांगते बच्चों को चौराहों पर। शर्मिंदा हो उठता हूं देश की व्यवस्थाओं पर।। किसी बेबस बाग के ये, मुरझाये हुये फूल हैं। बचपन क्या होता है, गये ये भूल हैं। कभी इस तो कभी उस गाड़ी के, पीछे दौड़ लगाते हैं। बेचारे पेट की खातिर कहां-कहां, हाथ फैलाते हैं। कभी इसकी दुत्कार, तो कभी उसकी फटकार सुनकर इनके सुध-बुध खो जाते हैं। क्या फुटपाथ, क्या कचरे का ढेर जहां जगह मिली ये बच्चे सो जाते हैं। ज़िंदगी ने जो सबक इन्हें सिखाया है। कोई किताब, किसी स्कूल ने कहां ये पढ़ाया है। कैसे कह दूं ये बच्चे देश का कल हैं। हकीकत तो ये है, दो जून का निवाला भी पाने में ये विफल हैं।। कागजों पर जगमगाती दुनिया के पीछे का ये अंधेरा सूनसान हैं। इनकी भी फिक्र करो साहब, ये भी तो हिंदुस्तान हैं।। विनोद विद्रोही

देश की न्याय व्यवस्था पर उनका विश्वास नहीं...

माना आतंकवाद का कोई रंग नहीं होता। सियासत की बिसात पर जो चालें तुम चल गये ऐसा भी कोई ढंग नहीं होता। अपनी दुश्वारियों का जिन्हें अब भी आभास नहीं। सच कहे विद्रोही देश की न्याय व्यवस्था पर उनका विश्वास नहीं।। विनोद विद्रोही #malegaonblast #co.purohit #supremecourt

जब यही रीत है ज़माने की...

जब यही रीत है ज़माने की। फ़िर क्यों उम्मीद करता है विद्रोही उसके लौट आने की।। जो अपने हैं जो छोड़ के जाया नहीं करते। और मतलबी लोग कभी लौट के आया नहीं करते।। विनोद विद्रोही

तुम्हारे इंतज़ार में कंकाल हो गये...

तुम कपूतों के लिये जो, जी का जंजाल हो गये। वही तुम्हारी राह तकते-तकते, कंकाल हो गये।। विनोद विद्रोही

यूं तो ये दिखते है हरे पर हरे नहीं हैं...

यूं तो ये दिखते है हरे पर हरे नहीं हैं। ज़ख्म जो तू दे गया, वो अभी भरे नहीं हैं। इंतज़ार थोड़ा और कर लो दुनिया से हमारी रुक्सती का। हम लगते मरे हैं पर अभी मरे नहीं हैं।। विनोद विद्रोही

सियासत ने रिश्तों में डाल दिया है मट्ठा...

🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁 ये तो सियासत है जिसने रिश्तों में डाल दिया है मट्ठा। वरना वो भी क्या दिन थे साथ बैठ एक थाली में खाते थे इकट्ठा।। विनोद विद्रोही 🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁 पसंद आए तो शेयर करें संपर्क सूत्र - 07276969415 नागपुर, Blog: vinodngp.blogspot.in Follow me on: twitter@vinodvidrohi, Instagram@vinodvidrohi Facebook: Vinod Vidrohi

चंद पत्थरों से ही तुम घबरा गये...

🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥 चंद पत्थरों से ही तुम घबरा गये। आंखें तिरोर लीं, लाल-पीले हो पगला गये। उनका क्या जो तुम्हारी नाकामियों का बोझ रोज़ उठाते हैं। एक पत्थर की क्या बात करते हो यहां सैकडों पत्थर रोज़ खाते हैं। दूसरों के जख़्मों का कब किसे आभास होता है। बीतती है जब खुद पर तब ही दर्द का एहसास होता है।। विनोद विद्रोही 🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥 पसंद आए तो शेयर करें संपर्क सूत्र - 07276969415 नागपुर, Blog: vinodngp.blogspot.in Follow me on: twitter@vinodvidrohi, Instagram@vinodvidrohi Facebook: Vinod Vidrohi

आ एक-दूजे का सहारा बन जायें...

आ एक-दूजे का सहारा बन जायें: ना हो इस दोस्ती का कोई छोर ऐसा किनारा बन जायें। आ मेरे दोस्त एक-दूजे का सहारा बन जायें। मतलब की इस दुनिया में कहां कौन किसी का होता है। जिसे देखो वो ही ज़िंदगी में ज़हर सा बोता है। एक दोस्त ही तो है जो सुख-दुख हर घड़ी में साथ होता है। साथ हंसता है, साथ रोता है। आ वो बीता हुआ दौर दोबारा बन जायें। आ मेरे दोस्त एक दूजे का सहारा बन जायें। आज भी याद हैं दिन वो पतझड़ों के, जब खड़े हो गये थे हाथ बड़े-बड़ों के। यूं तो हर ग़म दिल में छुपा रहा था, पर सच कहूं दोस्त मन ही मन तुझे बुला रहा था। मेरे दोस्त ही तो हैं जो दिलों के जज्बात समझ जाते हैं। बिन कहे हर बात समझ जाते हैं। इस अंधियारे में चमकता हुआ तारा बन जायें, आ मेरे दोस्त एक दूजे का सहारा बन जायें।। ना हो इस दोस्ती का कोई छोर ऐसा किनारा बन जायें..... विनोद विद्रोही मेरे ह्रदय के करीब रहने वाले सभी मित्रों को समर्पित....मित्रता दिवस की ढेरों शुभकामनाएँ।

कहां ढूँढूं वो कलाई मैं...

आज रक्षाबंधन पर उस बहन का दर्द लिखने कि कोशिश की है जिनके भाई देश के लिये कुर्बान हो गये। ************************** सबकुछ हर दिन जैसा है, कुछ भी तो नया नहीं। क्या दर्द छुपाये बैठी हूं दिल में, कर सकती हर किसी से बयां नहीं। सूना है घर का आंगन, लगता कुछ ना बाकी है। भइया तुम आये नहीं, देखो आज राखी है।। तुमसे ही तो थी हस्ती मेरी, कैसे भूलूं भाई मैं। किसको बांधु ये राखी मैं, ढूंढूं कहां वो कलाई मैं।। तुम कुर्बान हुये वतन पर, किसी फूल कि तरह मुरझाई मैं। आंखें अब भी राह तकती तुम्हारी, फ़िरती दर-दर पगलाई मैं। तुम गये सबको छोड़कर, जिंदा लाश सी बन गयी भाई मैं। किसको बांधु ये राखी, ढ़ूंढूं कहां वो कलाई मैं।। विनोद विद्रोही देश की उन बहनों को समर्पित जिनके भाई देश के लिये शहीद हो गये।। जय हिन्द🇮🇳🇮🇳🇮🇳

पर्दों में वो बात कहां जो महफ़ूजी है दरवाज़े में...

अक्सर फर्क होता है हकीकत और अंदाजे में, पर्दों में वो बात कहां जो महफ़ूजी है दरवाज़े में। और कल तक जो कहते थे मर ही जाये तो अच्छा। उनको भी आज देखा मैंने उसके जनाजे में।। विनोद विद्रोही

दिल के जख़्मों को क्यों किसी को दिखाना...

दिल के जख़्मों को क्यों किसी को  दिखाना किसी ने खोया तो किसी की किस्मत में था पाना। यूं तो औपचारिक होगा ये बताना। जो तुम अब तक ना आये, तो अब  मत आना।। विनोद विद्रोही

एक दर्द सीने में दबाये बैठा हूं...

एक दर्द सीने में दबाये बैठा हूं, किसी से कुछ ना कहने की कसमें खाये बैठा हूं। घरौंदे बनाकर तोड़ देना खेल होगा तुम्हारे लिये। मैं तो आज भी उस टूटे मकां को आशियां बनाये बैठा हूँ।। विनोद विद्रोही

देश के दामन पर ये दाग, बद से बदतर है...

कश्मीरी इन हालातों से ऐसे मुख ना मोड़ो तुम। दुश्मन की छाती पे चढ़कर हुंकार भरो, वरना कुर्सी छोड़ तुम। अरे देश के दामन पर ये दाग, बद से बदतर है। कोई विशेषाधिकार नहीं एक ज़ख्म सा लगता है, ये जो धारा 370 है।। विनोद विद्रोही

हार को मील का पत्थर बनायेंगे...

इन मायूसियों से ही उम्मीद की, नई किरण निकलेगी। हिमालय है तो क्या हुआ बर्फ इसकी भी पिघलेगी। तुम डंटी रहो पूरे दम-खम से, इस हार को मील का पत्थर बनायेंगे। बस दिल टूटा है हौसला नहीं, दुश्मन की छाती पर चढ़कर विजयी तिरंगा लहरायेंगे।। विनोद विद्रोही जय हिन्द

तुम लड़ीं अंतिम सांस तक...

तुम लड़ीं अंतिम सांस तक, अपने पूरे विश्वास तक। बुलंद हौंसले का परचम तुमने लहराया है। मैच नहीं तो क्या हुआ, तुमने दिल जीत के दिखाया है।। विनोद विद्रोही फिरंगियों से पूरे दम-खम के साथ लोहा लेने वाली भारत की बेटियों को सलाम। जय हिन्द🇮🇳🇮🇳🇮🇳

तुम वर्तमान के जिन्ना हो...

देश की आस्तीनों में छुपे ऐसे ये सांप हैं, जो हर दिन बना रहे ये एक नया बाप हैं। पकिस्तान की गोद में बैठ, कभी अमेरिका तो कभी चीन के तलवे कब तक चाटते जाओगे, कितनी ही कोशिश कर लो इस अखंड राष्ट्र को तुम बांट न पाओगे। इतिहास जिसपर होगा शर्मिंदा ऐसा काला पन्ना हो। कहे विद्रोही ये बात सबसे तुम वर्तमान के जिन्ना हो।। विनोद विद्रोही #farooqabdullah #kashmir #China

पहले कहते थे आशिक, अब कहते पगला है...

वो क्या जाने, ये दिल कैसे-कैसे सम्भला है। जैसे देखी हो कयामत, हर दिन ऐसे-ऐसे निकला है। उसके रहने ना रहने से बस इतना सा बदला है। पहले लोग कहते थे आशिक, अब कहते पगला है।। विनोद विद्रोही

दहक रहा हमारे भी दिल में बदले का अंगारा है...

चीन की गीदड़ भभकियों पर: चल माना तू ताकतवर है, निडर है, पर हमारे भी कहां दबे हुये स्वर हैं। गर तूने फ़िर से हमको ललकारा है , तो आ जा दहक रहा हमारे भी दिल में बदले का अंगारा है। अरे समय के कालचक्र में सबकी बारी आती है। इतना गुमान मत कर, वक्त पड़ने पर एक चींटी भी हाथी पे भारी पड़ जाती है।। विनोद विद्रोही

एक सबब है मेरी खामोशी के पीछे...

ये जो उजाले तुम्हें दिख रहे हैं, दरसल अंधेरा है इसे भोर ना समझना। एक सबब है मेरी खामोशी के पीछे, मुझे कमजोर ना समझना।। विनोद विद्रोही

तो कृष्ण और राधा कभी जुदा ना होते...

कहते हैं इश्क करने वालों को रब मिलाता है, फ़िर वक्त की आंच पर हर रिश्ता क्यूं पिघल जाता है। गर जानते हश्र-ए-मोहब्बत तो यूं एक-दूजे पर फिदा ना होते, जो होती प्यार की कोई मंजिल तो कृष्ण और राधा कभी जुदा ना होते। विनोद विद्रोही

ऐसा ही प्रहार हो तुम्हारे भी गुप्तांग पे!

दिल में जो बात थी जुबां पर आ गयी, गद्दारों के हिमायती हो ये बात सतह पर आ गयी। अभिव्यक्ति की इस आजादी से देश का संविधान नंगा है, तुम जैसों के चलते ही गली-चौराहों में दंगा है। जैसे भीम ने मारा था गदा दुर्योधन की जांघ पे, एक ऐसा ही प्रहार हो तुम्हारे भी गुप्तांग पे।। विनोद विद्रोही

मेरे साथ तुम भी रो दोगे...

गर बात करेंगे उनकी,  तो तुम भी  सुध-बुध खो दोगे। जो सुनोगे दास्तान-ए-मोहब्बत, यकीं मानो मेरे साथ तुम भी रो दोगे।। विनोद विद्रोही

मौका मिले तो इंसान-इंसान को खा जाये!

इंसानियत का जिक्र ना करो साहब, आलम ये है की पशुता भी शरमा जाये। जानवरों की क्या बात करते हो विद्रोही, यहां मौका मिले तो इंसान-इंसान को खा जाये।। विनोद विद्रोही 🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥 पसंद आए तो शेयर करें संपर्क सूत्र - 07276969415 नागपुर, Blog: vinodngp.blogspot.in Follow me: twitter@vinodvidrohi, Instagram@vinodvidrohi

गद्दारों से ज्यादा खतरा चाटुकारों से है!

सफ़र ये कभी थमा नहीं राह में पड़ने वाली दीवारों से, हमने तो रास्ता तय किया है दहकते अंगारों से। डर तो कभी उतना था नहीं गद्दारों से। जितना खतरा बना हुआ था चाटुकारों से।। विनोद विद्रोही

उसी से नफ़रत भी है, उसी से प्यार भी...

वो बेकसूर भी है वो गुनहगार भी है, वही दुश्मन भी है, वही यार भी है। बड़ा अजीब मसला है ये विद्रोही, उसी से नफ़रत भी है उसी सी प्यार भी है।। विनोद विद्रोही

यूं थूक कर कब तक चाटोगे...?

बदजुबानी की सीमाएं लांघो, फ़िर कहो कुछ हुआ ही नहीं। पहले थूको फ़िर चाटो ऐसे जैसे किसी को दिखा ही नहीं। विनोद विद्रोह नोट: उपरोक्त पंक्तियों को संदीप दीक्षित द्वारा सेनाध्यक्ष पर दिये बयान से जोड़कर ना देखें।

भला हम कैसे अपना प्यार बदल लें...

तुम तो अपने हो तो कैसे तुम पर अधिकार बदल लें। गर इतने ही व्यस्त हो तो आओ हम-तुम कारोबार बदल लें।। हम तो उनमें से नहीं जो वक्त के साथ यार बदल लें। तुम्हारी तुम जानो, भला हम कैसे अपना प्यार बदल लें।। विनोद विद्रोही

...तब जाकर दो जून की रोटी आती है।

यूं तो है अपनी पर कितना मुझे सताती है। जिंदगी हर मोड़ पर आईना मुझे दिखाती है। और मेरी मजबूरियां दिन भर कितनी जिल्लतें उठाती हैं। तब जाकर कहीं घर में दो जून की रोटी आती है।। विनोद विद्रोही

रक्त में उबाल क्यों नहीं आता दिल्ली के दरबारों के...

घाटी में लहराते देख ये झंडे चांद-सितारों के, रक्त में उबाल क्यों नहीं आता दिल्ली के दरबारों के। इतना समझ लो, जब तक इलाज ना करोगे घर में छुपे गद्दारों का, खून यूं ही बहता रहेगा देश के पहरेदारों का।। विनोद विद्रोही

मतलब निकल जाये तो मित्र बदल लेते हैं...

पसंद ना आये तो इत्र बदल लेते हैं , जी भर जाये तो दीवारों के चित्र बदल लेते हैं। बड़ी अजीब दुनिया है ये विद्रोही, मतलब निकल जाये तो लोग मित्र बदल लेते हैं।। विनोद विद्रोही

पिता साथ है तो हर हौसला आसमान सा लगता है...

पिता साथ है तो हर हौसला आसमान सा लगता है। उस एक शख्सियत में समाया सारा जहान सा लगता है। वो डांट, वो फटकार, वो गुस्सा आज सबमें छुपा एक ज्ञान सा लगता है। मत पूछो क्या होता है पिता को खोने का दर्द, सब कुछ मुझे अब वीरान सा लगता है।। पिता साथ है तो हर हौसला आसमान सा लगता है..। विनोद विद्रोही

कश्मीर तो छोड़ो पकिस्तान में भी ज़मीन नहीं होगी...

घर की शह पर मातम पड़ोसी की जीत का ज़शन मनाते हो, हमारा ही खाकर हमको ही टशन दिखाते हो। गर हम अपनी पर आ गये तो ये  आतंक नाम की मशीन नहीं होगी। कश्मीर तो छोड़ो पकिस्तान में भी तुम्हारे लिये कोई ज़मीन नहीं होगी॥ विनोद विद्रोही

तुम तो अपने हो तो कैसे तुम पर अधिकार बदल लें...

तुम तो अपने हो तो कैसे तुम पर अधिकार बदल लें। गर इतने ही व्यस्त हो तो आओ हम-तुम कारोबार बदल लें।। हम तो उनमें से नहीं जो वक्त के साथ यार बदल लें। तुम्हारी तुम जानो, भला हम कैसे अपना प्यार बदल लें।। विनोद विद्रोही

यूं तो है अपनी पर कितना मुझे सताती है...

यूं तो है अपनी पर कितना मुझे सताती है। जिंदगी हर मोड़ पर आईना मुझे दिखाती है। और मेरी मजबूरियां दिन भर कितनी जिल्लतें उठाती हैं। तब जाकर कहीं घर में दो जून की रोटी आती है।। विनोद विद्रोही

कहीं फेंक आओ इस झूठे अभिमान को...

जाकर कहीं फेंक आओ इस झूठे अभिमान को, कि अन्नदाता कहते हैं देश के किसान को। हड्डियों को गलाकर, धरती की छाती फाड़कर अनाज उगाता है। पर अफसोस खुद का ही पेट नहीं भर पाता है। कभी मौसम की मार, तो कभी साहूकारों के अत्याचार, कभी बिचौलियों की धौंस तो कभी दलालों की दुतकार। हर दर्द सहकर भी वो अनाज पहुँचाता बाजार, देश का पेट भर देता है, भले खुद रह जाता लाचार। अब तो ज़हर लगती हैं तुम्हारी आश्वाशनों वाली ये बोली, और हक मांगने निकलो तो मिलती है सिर्फ़ गोली। कहां जायें किससे फरियाद करें तुम ही बता दो, या फ़िर एक काम करो, हमें हमारे खेत में ही दफना दो। क्योंकि इस बेबसी के साथ अब और जिया नहीं जाता, उम्मीदों का ये ज़हर अब हमसे पिया नहीं जाता। हर रोज़ जलते देखते हैं अधूरे अरमान को, कहीं दूर फेंक आओ इस झूठे अभिमान को, कि अन्नदाता कहते हैं देश के किसान को।। विनोद विद्रोही 🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁 पसंद आए तो शेयर करें संपर्क सूत्र - 07276969415 नागपुर, Blog: vinodngp.blogspot.in twitter@vinodvidrohi

कहां खो गयीं वो चिट्ठियां...?

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कहां खो गयीं वो चिट्ठियां: 🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁 कहां भूख कहां प्यास कहां खाना होता था। बड़ी कौतुहलता रहती थी जिस दिन चिट्ठी का आना होता था।। वो सुबह से डाकिये की राह तकते हुये कितने चौकन्ने रहते थे। हो भी क्यों ना, उसके हाथों में ही तो ग़म और खुशियों के पन्ने रहते थे।। एक ही चिट्ठी को दिन में दस बार पढ़ लेते थे। चिट्ठी में लिखे एक-एक शब्द अपने भीतर गढ़ लेते थे।। चिट्ठी का आना यूं लगता था जैसे कोई त्योहार है। एक छोटी सी चिट्ठी में मानो समाया सारा संसार है।। आज भी याद है...चिट्ठी पढ़वाते-पढ़वाते मां अक्सर सुध-बुध खो देती थी। चिट्ठी ख़त्म होने तक वो कइयों बार रो देती थी।। डाकिये से भी घर का रिश्ता बड़ा अजीब होता था। यूं तो था वो पराया, लेकिन सबके दिल के क़रीब होता था।। अब तो ना वो डाकिया रहा ना रहीं वो चिट्ठियां। फ़ेसबुक, वट्स एप के इस दौर में जाने कहां गुम गयीं वो संवेदनायें और वो सिसकियां।। विनोद विद्रोही 🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁 पसंद आए तो शेयर करें संपर्क सूत्र - 07276969415 नागपुर, Blog: vinodngp.blogspot.in Twitter@vinodvidrohi

कहां गुम हो गयीं वो संवेदनायें वो सिसकियां?

वो सुबह से डाकिये की राह तकते हुये कितने चौकन्ने रहते थे। हो भी क्यों ना, उसके हाथों में ही तो दर्द और खुशियों के पन्ने रहते थे। अब तो ना रहा वो डाकिया ना रहीं वो चिट्ठियां, फ़ेसबुक, वट्स एप के इस दौर में जाने कहां गुम गयीं वो संवेदनायें वो सिसकियां।। विनोद विद्रोही

आज कितने संवेदनहीन हो गये...

🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁 प्यार तो सब जताते हैं पर किसी में सच्ची भावनायें नहीं। दिल तो है पर उसमें अब संवेदनायें नहीं। आधुनिकता के इस दौर में खुद में ही इतने हम अधीन हो गये। इस कदर डूबे भौतिक सुखों में की संवेदनहीन हो गये।। विनोद विद्रोही 🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁 पसंद आए तो शेयर करें संपर्क सूत्र - 07276969415 नागपुर, Blog: vinodngp.blogspot.in Twitter@vinodvidrohi

खतरे के बादल तुमपर मंडराने लगे हैं...

सर काट के ले गये थे ना, उसका अंजाम अब  तुम्हें दिखलाने लगे हैं। सम्भल के रहना खतरे के बादल अब तुमपे मंडराने लगे हैं। दहशत की जो बर्फ़ तुमने जमाई थी अब उसको पिघलाने लगे हैं। तुम्हारी करतूतों पर सबक तुमको सिखलाने लगे हैं।। सुधर जाओ और बंद करो आतंक की ये जो झांकी है, वर्ना याद रखना, अभी तो सर्जिकल का सिर्फ़ ट्रेलर दिखलाया है पूरी पिक्चर अभी बाकी है।। विनोद विद्रोही नौशेरा में पाकिस्तान की चौकियों को ध्वस्त करने के लिये एक और सर्जिकल स्ट्राइक करने वाली भारतीय सेना के जज्बे को सलाम। जय हिन्द पसंद आए तो शेयर करें संपर्क सूत्र - 07276969415 नागपुर, Blog: vinodngp.blogspot.in Twitter@vinodvidrohi

ख्वाहिशें जुबां पे आकर बेदम हो जाती है...

🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁 ख्वाहिशें जुबां पे आकर बेदम हो जाती है। ऐसा ही होता है, जब खर्च ज्यादा और कमाई कम हो जाती है।। विनोद विद्रोही 🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁 पसंद आए तो शेयर करें संपर्क सूत्र - 07276969415 नागपुर, Blog: vinodngp.blogspot.in Twitter@vinodvidrohi

लिखना क्या था क्या लिख दिया...

🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁 लोग ये देखकर  हैरान थे, कि मैंने क्या लिख दिया। सवाल था अपनी कुल सम्पति लिखो, मैंने मां लिख दिया।। लिखना कहां था, कहां लिख दिया, मां के कदमों में जन्नत और जहां लिख दिया। लोग ये देखकर हैरान थे, कि मैंने क्या लिख दिया। विनोद विद्रोही 🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁 पसंद आए तो शेयर करें संपर्क सूत्र - 07276969415 नागपुर, Blog: vinodngp.blogspot.in Twitter@vinodvidrohi

जो अलगाववाद की बात करे उनको फांसी टांको तुम..

🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥 जाने किस जन्म के हम पाप पाल रहे हैं, अपनी ही छाती पर आस्तीन के सांप पाल रहे हैं। अरे अपने घर में छुपे बैठे ऐसे ये चोर हैं, शरीर जिनका भारत में  पर आत्मा इनकी लाहोर है। बंद करो ये बात-चीत ना इनको कम आंको तुम, जो अलगाववाद की बात करे उनको सीधे फांसी टांको तुम।। विनोद विद्रोही जय हिन्द 🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥 पसंद आए तो शेयर करें संपर्क सूत्र - 07276969415 नागपुर, Blog: vinodngp.blogspot.in Twitter@vinodvidrohi

पाकिस्तान: क्या तुम्हारे वकील आईसीजे पिकनिक मनाने गये थे?

अंतराष्ट्रीय अदालत में हारने के बाद पकिस्तान ने बयान दिया है की कुलभूषण जाधव का मामला अंतराष्ट्रीय अदालत के बाहर का है। हद है यार: कोई नापाक पाकिस्तान से पूछे जब ये मामला अंतराष्ट्रीय अदालत के बाहर का था तो 5 लाख पाउंड की फीस लेने वाले उसके वकील क्या नीदरलैंड के हेग में पिकनिक मनाने गये थे। बेशर्मी को भी शर्म आ जाये पाकिस्तान के इस तर्क और बयान पर। विनोद विद्रोही जय हिन्द पसंद आए तो शेयर करें संपर्क सूत्र - 07276969415 नागपुर, Blog: vinodngp.blogspot.in Twitter@vinodvidrohi

कब तक लिप्त रहोगे झूठ के कारोबार में...

अब तो ये कथन पूरी तरह बेबाक है, पाक होकर भी इरादे तुम्हारे नापाक है। विश्व के न्याय मंदिर ने ये फैसला सुना दिया, दुनिया के पटल पर तुम्हें आईना दिखा दिया। गर यूं ही लिप्त रहोगे झूठ के कारोबार में, तुम्हारे नेस्तनाबूत होने कि ख़बर इक दिन छप जायेगी अखबार में।। विनोद विद्रोही कुलभूषण जाधव मामले में अंतराष्ट्रीय अदालत में भारत की जीत और पकिस्तान के मुंह पर करारे तमाचे के लिये बधाई।🙏 जय हिन्द पसंद आए तो शेयर करें संपर्क सूत्र - 07276969415 नागपुर, Blog: vinodngp.blogspot.in Twitter@vinodvidrohi

निर्भया तो चली गयी लेकिन भय बरकरार है...

🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥 निर्भया तो चली गयी लेकिन भय अब भी बरकरार है। हवस के इन पुजारियों को फांसी से भी कड़ी सजा की दरकार है।। गर मानो बात विद्रोही की तो फ़िर ना ये पाप घिनौना होगा। बस इन बलात्कारियों को भरे चौराहे लटकाना होगा।। विनोद विद्रोही जय हिन्द 🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥

राष्ट्रधर्म ही सबसे बड़ा मज़हब है...

🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥 धर्म की आड़ में नफ़रतों के बीज बोना औरों का काम होगा। वतन पर मिटने वालों का सिर्फ़ हिंदुस्तानी नाम होगा।। मज़हबों की आंच पर स्वार्थ की रोटी सेकने वाले भी बड़े गजब है। यहां हमारे लिये तो राष्ट्रधर्म ही सबसे बड़ा मज़हब है।। विनोद विद्रोही जय हिन्द 🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥 पसंद आए तो शेयर करें संपर्क सूत्र - 07276969415 नागपुर, Blog: vinodngp.blogspot.in Twitter@vinodvidrohi

जाने ऐसा क्या है दिल्ली के दरबारों में...

🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥 जाने ऐसा क्या है दिल्ली के दरबारों में । कायरता छा जाती यहां आने वाली सभी सरकारों में।। जवानों से हुई बर्बरता पर सारा राष्ट्र शर्मिंदा है।। जबकि सत्ता के ठेकेदारों की जुबां पर केवल निंदा है। ऐसे ही निंदा करते-करते एक दिन खुद निंदनीय बन जाओगे, वो बात अलग है नपुंसकों की बस्ती में वंदनीय कहलाओगे।। विनोद विद्रोही जय हिन्द 🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥 पसंद आए तो शेयर करें संपर्क सूत्र - 07276969415 नागपुर, Blog: vinodngp.blogspot.in Twitter@vinodvidrohi

दूषित जल भी गंगा हो जाता है...

🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥 दूषित जल भी नदियों में मिलकर गंगा हो जाता है। कितने ही पर्दों में छुपा लो , झूठ एक ना एक दिन नंगा हो जाता है।। विनोद विद्रोही (उपरोक्त पंक्तियों को अरविन्द केजरीवाल की वर्तमान स्तिथि से जोड़कर ना देखें😊) 🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥 पसंद आए तो शेयर करें संपर्क सूत्र - 07276969415 नागपुर, Blog: vinodngp.blogspot.in Twitter@vinodvidrohi

ज़ख्म बहुत दे चुका तू देश कए भाल को...

ज़ख्म बहुत दे चुका तू देश के भाल को, तूने देखा ही कहां अभी हमारे रक्त के उबाल को। जिंदा दफन कर देंगे तुझे और तेरे नापाक ख्याल को, गर अब खरोंच भी आयी भारतीय मां के लाल को। विनोद विद्रोही पसंद आए तो शेयर करें संपर्क सूत्र - 07276969415 नागपुर। Blog: vinodngp.blogspot.in Twitter@vinodvidrohi

निंदा करने वाले खुद निंदनीय बन जायेंगे!

🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥 जाने ऐसा क्या है दिल्ली के दरबारों में । कायरता छा जाती यहां आने वाली सभी सरकारों में।। जवानों से हुई बर्बरता पर सारा राष्ट्र शर्मिंदा है।। जबकि सत्ता के ठेकेदारों की जुबां पर केवल निंदा है। ऐसे ही निंदा करते-करते एक दिन खुद निंदनीय बन जाओगे, वो बात अलग है नपुंसकों की बस्ती में वंदनीय कहलाओगे।। विनोद विद्रोही जय हिन्द 🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥 पसंद आए तो शेयर करें संपर्क सूत्र - 07276969415 नागपुर, Blog: vinodngp.blogspot.in Twitter@vinodvidrohi

2 सिरों के बदले 200 सिर छुड़वाने पडेंगे...

🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥 जो भूले बैठे हो अपनी हैसियत, तो अब तुमको आईने दिखलाने पडेंगे। काट के ले गये हो तो सम्भाल के रखना, दो सिरों के बदले 200 सिर छुड़वाने पडेंगे।। विनोद विद्रोही जय हिन्द🇮🇳🇮🇳🇮🇳 🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥 पसंद आए तो शेयर करें संपर्क सूत्र - 07276969415 नागपुर, Blog: vinodngp.blogspot.in Twitter@vinodvidrohi

सेना के जवानों के हौसले को शब्द देने की कोशिश...

थप्पड़ मारो या पत्थर से कर दो घायल, चाहे करवाओ दंगा। लहू की अंतिम बूंद तक लड़ूंगा जब तक है हाथों में तिरंगा।। विनोद विद्रोही जय हिन्द🇮🇳🇮🇳🇮🇳 पसंद आए तो शेयर करें संपर्क सूत्र - 07276969415 नागपुर, Blog: vinodngp.blogspot.in Twitter@vinodvidrohi

कब तक गीदड़ों के हाथों शेर मारे जायेंगे?

सत्ता के तुम्हारे इस मोह के चलते ही आतंक के ये ज़ख्म नहीं भर पाते हैं। दुनिया में हम ही ऐसे देश हैं जहां गीदड़ों के हाथों शेर मारे जाते हैं।। विनोद विद्रोही कुपवाड़ा आतंकी हमले में शहीद हुये भारत मां के लालों को अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि।💐💐💐 जय हिंद 

मत करो गुमान अपनी सफलता का...

जिस दिन जरा भी गुमान हो गया तुम्हें अपनी सफलता का। समझ लेना दौर शुरू हो चुका है तुम्हारी विफलता का।। विनोद विद्रोही (नोट: कृप्या उपरोक्त पंक्तियों को दिल्ली के एमसीडी चुनाव में केजरीवाल की हार से जोड़कर ना देखें😊) जय हिन्द पसंद आए तो शेयर करें संपर्क सूत्र - 07276969415 नागपुर, Blog: vinodngp.blogspot.in Twitter@vinodvidrohi

जवानों की शहादत पर भी राजनीति!

🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥 जवानों की शहादत पर भी जो राजनीति कर जाते हैं। ऐसी उच्चतम गुणवत्ता वाले नेता सिर्फ भारत में पाये जाते हैं।। इन्हें शर्म नहीं आती की देश जल रहा है अंगारों में। इन्हें तो बस अपनी कुर्सियां ज़माना है दिल्ली के दरबारों में।। नहीं ख्याल आता इन्हें मां की सूनी गोद और बहना की राखी का। ये तो हर हाल में ख्वाब देखते हैं सत्ता की खूबसूरत झांकी का।। ये देश एक दिन ज़रूर इनसे जवाब मांगेगा। पीढियों को गर्त में धकेलने वालों से पाई-पाई का हिसाब मांगेगा।। विनोद विद्रोही जय हिन्द 🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥 पसंद आए तो शेयर करें संपर्क सूत्र - 07276969415 नागपुर, Blog: vinodngp.blogspot.in Twitter@vinodvidrohi

सुकमा नक्सली हमले में शहीद हुये भारत मां के लालों को श्रद्धांजलि

🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥 व्यवस्थाओं के विरोध का दिखावा करने वाले ये झूठे फरियादी हैं। मत कहो इन्हें नक्सलवादी देश में छुपे बैठे ये आतंकवादी हैं।। भला कैसे निपटेंगे हम सीमा पर घुसपैठिये गद्दारों से, जब अपना ही घर भरा पड़ा है नमकहराम, मक्कारों से।। इन मक्कारों को भी बता दो की तैयारी हमारी पूरी है। देश के इन गद्दारों पर भी एक सर्जिकल स्ट्राइक ज़रूरी है।। दहशत का मंजर क्या होता इनको भी दिखला दो। नक्सलवाद की इस पौध को अब जड़ से मिटा दो।। विनोद विद्रोही जय हिन्द 🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥 सुकमा में नक्सली हमले में शहीद हुये देश के  जवानों को भावपूर्ण श्रद्धांजलि।💐💐💐💐🙏🙏🙏

बीच सफ़र में तेरा यूं साथ छोड़ देना आज भी खलता है...

बीच सफ़र में तेरा यूं साथ छोड़ देना, मुझे आज भी खलता है। इस रंजो-ग़म में भी मैं जी लेता हूं, ये मेरी कुशलता है।। कभी मैं यादों पर कभी यादें मुझपर, हावी होती है। तेरे जाने के बाद ये सिलसिला अक्सर, यूं ही चलता है।। विनोद विद्रोही 🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁 पसंद आए तो शेयर करें संपर्क सूत्र - 07276969415 नागपुर, Blog: vinodngp.blogspot.in Twitter@vinodvidrohi

देश के भीतर ही असली गद्दार बैठे हैं...

सेना के जवानों को समर्पित: वतन की हिफाजत की खातिर वो किये जां निसार बैठे हैं। वो नादां क्या जाने देश के भीतर ही असली गद्दार बैठे हैं।। विनोद विद्रोही जय हिन्द 🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁 पसंद आए तो शेयर करें संपर्क सूत्र - 07276969415 नागपुर, Blog: vinodngp.blogspot.in Twitter@vinodvidrohi

बेशक बोल के लब आजाद हैं तेरे

बेशक, बोल के लब तेरे आजाद हैं, पर ये भी कभी सोच ये लब कैसे आजाद हुये। तुम्हारे इन्ही लबों की आज़ादी की खातिर, कितना लहू दिया। भारत मां के लाल बर्बाद हुये।। भरी जवानी चूम लिया फांसी का फंदा, तो कभी रक्तरंजित जलियांवाला बाग हुये, तब जाकर कहीं ये लब तेरे आजाद हुये।। और आज नफ़रतों भरे इन नारों में देशभक्ति का मरण हो रहा है। लोकतंत्र है शर्मिंदा, भारत मां का चीरहरण हो रहा है। ये कैसी तस्वीर है, ये कैसा उन्माद है। बेशक बोल की लब तेरे आज़ाद हैं। पर ये भी कभी सोच लब कैसे आजाद हुये।। विनोद विद्रोही जय हिन्द 🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁 पसंद आए तो शेयर करें संपर्क सूत्र - 07276969415 नागपुर, Blog: vinodngp.blogspot.in Twitter@vinodvidrohi

आतंकी घोषित करो नमकहराम पत्थरबाजों को..

अब तो बंद करो घाटी में गूंजती इन आवाजों को...आतंकी घोषित करो इन नमकहराम पत्थरबाजों को।। क्या करें जब अपना ही कोई जालसाज हो जाये। काट के फेंकना ही पड़ता है, जब अंग कोई लाइलाज हो जाये।। विनोद विद्रोही  जय हिन्द 🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁 पसंद आए तो शेयर करें संपर्क सूत्र - 07276969415 नागपुर, Blog: vinodngp.blogspot.in Twitter@vinodvidrohi

नापाक हाथ जवानों के गिरेबां तक पहुंच गये...

पत्थरबाजों के मंसूबे कहां से कहां तक जा  पहुंचे। इनके नापाक हाथ हमारे जवानों के गिरेबां तक जा पहुंचे।। सवाल था केवल लोकतंत्र की रक्षा का, वर्ना ख़बर ये भी मिलती, कश्मीरी सपोले सीधे शमशां जा पहुंचे ।। बहुत हो चुका मोदी जी ये व्रत मौन के अब तोड़ो तुम। अलगाववादियों से अपनत्व के कोई भाव अब मत जोड़ो तुम।। भारत मां का दिल घायल है, अब तो नींद से जागो तुम। बहुत हो चुकी बातचीत, अब दुश्मन के सीने पर सीधे गोली दागो तुम।। विनोद विद्रोही जय हिंद 🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁 पसंद आए तो शेयर करें संपर्क सूत्र - 07276969415 नागपुर, Blog: vinodngp.blogspot.in Twitter@vinodvidrohi

आखिर कब तक मौन रहेंगे हम गद्दारों की बदजुबानी पर...

ऐ मेरे मालिक तू उन्हें सद्बुद्धि दे, अकल दे। जो चाहते हैं कश्मीर मुद्दे पर अमेरिका दखल दे।। या फ़िर इन बाजुओं में इतना तू बल दे, कि देश के इन गद्दारों को हम मुट्ठी में मसल दें।। ये सब देख बल क्यों नहीं पड़ता है सत्ताधीशों की पेशानी पर। आखिर कब तक मौन रहेंगे हम गद्दारों की इस बदजुबानी पर।। विनोद विद्रोही जय हिंद 🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁 पसंद आए तो शेयर करें संपर्क सूत्र - 07276969415 नागपुर, Blog: vinodngp.blogspot.in Twitter@vinodvidrohi

आज जयंती पर बजरंगबली से मेरी विनंति

आज जयंती पर बजरंगबली से मेरी विनंति। मन की ये विवशता, ये उलझन कैसे हम सुलझायें, हे बजरंग बली दूर करो सारी बाधायें।। और लंका दहन के लिये अब सात समंदर पार ना जायें, क्योंकि देश के भीतर ही अब बन चुकी हैं कई लंकायें।। जगह-जगह रावणों सा आचरण हो रहा है, गली-गली में सीता का हरण हो रहा है। जटायु तो अब यहां कोई दिखता नहीं, सरेआम मानवीय मूल्यों का मरण हो रहा है।। शासन-प्रशासन सबमें आया एक भूचाल है, ये मत पूछो देश में राम-राज़ का कैसा हाल है। खुद तुम्हारे राम के आस्तित्व पर ही यहां सवाल है, और राज करने का तो  हर किसी के मन में ख्याल है।। दूध-दही नहीं अब खून की नदियां यहां बहती है। कैसे बताऊं राम के इस देश में जनता कैसे रहती है।। अब गदा उठाओ या पूंछ में आग लगाओ, कुछ भी करो देश के रावणों से हमें बचाओ।। विनोद विद्रोही 🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁 पसंद आए तो शेयर करें संपर्क सूत्र - 07276969415 नागपुर, Blog: vinodngp.blogspot.in Twitter@vinodvidrohi

नियम-कानून सब तुम्हारे अधीन है...

सांसद थप्पड़कांड: एयर इंडिया के 60 साल के उस बुजुर्ग के दर्द को शब्द देने की कोशिश। तुम कोई आम जन तो थे नहीं, जो हवा जेल की खाते। तुम तो ठहरे खास जन भला तुम्हारे लिये, हवालात कहां से लाते।। तमाचा मारो, मारो जूता-चप्पल या करो जुर्म जो संगीन है। सत्ता पर तुम काबिज हो, नियम-कानून सब तुम्हारे अधीन है।। समझ सको तो समझ लो ये बात बड़ी महीन है। बड़ा बेरंग अंत होगा इसका, जो दुनिया तुम्हें आज लग रही रंगीन है।। विनोद विद्रोही 🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁 पसंद आए तो शेयर करें संपर्क सूत्र - 07276969415 नागपुर, Blog: vinodngp.blogspot.in

वो गोदी में जा बैठे हैं चीन के....

जो हमेशा से,सांप रहे हैं आस्तीन के। वो अब गोदी में जा बैठे हैं चीन के।। पाकर साथ चीन का वो जश्न मानते हैं, उत्सुकता का। वो क्या जाने ये परिचय है उनकी, नपुंसकता का।। कश्मीर की लालच में गर यूं चीन के, आलिंगन में जा बैठोगे।। वह दिन दूर नहीं, जब पाकिस्तां को चीनीस्तां बना बैठोगे।। विनोद विद्रोही

इस धरा के कण-कण में श्रीराम बसे हैं...

हम सब के अंतकरण में श्रीराम बसे हैं, समय के घूमते इस चक्र के छण-छण में श्रीराम बसे हैं।। राम के आस्तित्व पर सवाल उठाने वालों, नज़रों को जरा पवित्र करो, इस धरा के कण-कण में श्री राम बसे हैं।। विनोद विद्रोही राम नवमी की आपको और आपके परिवार को हार्दिक शुभकमनाएं।। जय श्रीराम।

देश कब तक चलेगा आरक्षण की बैसाखी पर...

अक्सर चिंतित हो उठता हूं इस बेतुकी परिपाटी पर , आखिर देश कब तक चलेगा आरक्षण की, बैसाखी पर।। जितनी प्रतिभायें खाक हुई है इस सुविधा की बाती पर, उतने ज़ख्म दिये हैं तुमने भारत मां की छाती पर।। आरक्षण के ये पासे फेंके जाते हैं दिल्ली के दरबारों से, एक धोखा सा लगते हैं ये समानता के अधिकारों से।। कब तक आरक्षण बांटोगे तुम जाति के इन बाज़ारों में, देना ही है तो दे दो इसे आर्थिक आधारों में।। संविधान की कसमों को भूलकर ऐसे तुम ऐंठे हो, जिस डाली को कब का कट जाना था, उसपर झूला डाले बैठे हो।। आरक्षण के बल पे भले तुम आज अर्जुन बन जाओगे, लेकिन याद रहे कभी एकलव्य से श्रेष्ठ ना कहलाओगे।। विनोद विद्रोही