बीच सफ़र में तेरा यूं साथ छोड़ देना आज भी खलता है...

बीच सफ़र में तेरा यूं साथ छोड़ देना,
मुझे आज भी खलता है।
इस रंजो-ग़म में भी मैं जी लेता हूं,
ये मेरी कुशलता है।।
कभी मैं यादों पर कभी यादें मुझपर,
हावी होती है।
तेरे जाने के बाद ये सिलसिला अक्सर,
यूं ही चलता है।।
विनोद विद्रोही

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