बेशक बोल के लब आजाद हैं तेरे
बेशक, बोल के लब तेरे आजाद हैं,
पर ये भी कभी सोच ये लब कैसे आजाद हुये।
तुम्हारे इन्ही लबों की आज़ादी की खातिर,
कितना लहू दिया।
भारत मां के लाल बर्बाद हुये।।
भरी जवानी चूम लिया फांसी का फंदा,
तो कभी रक्तरंजित जलियांवाला बाग हुये,
तब जाकर कहीं ये लब तेरे आजाद हुये।।
और आज नफ़रतों भरे इन नारों में
देशभक्ति का मरण हो रहा है।
लोकतंत्र है शर्मिंदा, भारत मां का चीरहरण हो रहा है।
ये कैसी तस्वीर है, ये कैसा उन्माद है।
बेशक बोल की लब तेरे आज़ाद हैं।
पर ये भी कभी सोच लब कैसे आजाद हुये।।
विनोद विद्रोही
जय हिन्द
🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁
पसंद आए तो शेयर करें
संपर्क सूत्र - 07276969415
नागपुर,
Blog: vinodngp.blogspot.in
Twitter@vinodvidrohi
पर ये भी कभी सोच ये लब कैसे आजाद हुये।
तुम्हारे इन्ही लबों की आज़ादी की खातिर,
कितना लहू दिया।
भारत मां के लाल बर्बाद हुये।।
भरी जवानी चूम लिया फांसी का फंदा,
तो कभी रक्तरंजित जलियांवाला बाग हुये,
तब जाकर कहीं ये लब तेरे आजाद हुये।।
और आज नफ़रतों भरे इन नारों में
देशभक्ति का मरण हो रहा है।
लोकतंत्र है शर्मिंदा, भारत मां का चीरहरण हो रहा है।
ये कैसी तस्वीर है, ये कैसा उन्माद है।
बेशक बोल की लब तेरे आज़ाद हैं।
पर ये भी कभी सोच लब कैसे आजाद हुये।।
विनोद विद्रोही
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