गद्दारों से ज्यादा खतरा चाटुकारों से है!

सफ़र ये कभी थमा नहीं राह में पड़ने वाली दीवारों से,
हमने तो रास्ता तय किया है दहकते अंगारों से।
डर तो कभी उतना था नहीं गद्दारों से।
जितना खतरा बना हुआ था चाटुकारों से।।
विनोद विद्रोही

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