ऐसा ही प्रहार हो तुम्हारे भी गुप्तांग पे!
दिल में जो बात थी जुबां पर आ गयी,
गद्दारों के हिमायती हो ये बात सतह पर आ गयी।
अभिव्यक्ति की इस आजादी से देश का संविधान नंगा है,
तुम जैसों के चलते ही गली-चौराहों में दंगा है।
जैसे भीम ने मारा था गदा दुर्योधन की जांघ पे,
एक ऐसा ही प्रहार हो तुम्हारे भी गुप्तांग पे।।
विनोद विद्रोही
गद्दारों के हिमायती हो ये बात सतह पर आ गयी।
अभिव्यक्ति की इस आजादी से देश का संविधान नंगा है,
तुम जैसों के चलते ही गली-चौराहों में दंगा है।
जैसे भीम ने मारा था गदा दुर्योधन की जांघ पे,
एक ऐसा ही प्रहार हो तुम्हारे भी गुप्तांग पे।।
विनोद विद्रोही
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