रक्त में उबाल क्यों नहीं आता दिल्ली के दरबारों के...
घाटी में लहराते देख ये झंडे चांद-सितारों के,
रक्त में उबाल क्यों नहीं आता दिल्ली के दरबारों के।
इतना समझ लो, जब तक इलाज ना करोगे घर में छुपे गद्दारों का,
खून यूं ही बहता रहेगा देश के पहरेदारों का।।
विनोद विद्रोही
रक्त में उबाल क्यों नहीं आता दिल्ली के दरबारों के।
इतना समझ लो, जब तक इलाज ना करोगे घर में छुपे गद्दारों का,
खून यूं ही बहता रहेगा देश के पहरेदारों का।।
विनोद विद्रोही
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