पिता साथ है तो हर हौसला आसमान सा लगता है...
पिता साथ है तो हर हौसला आसमान सा लगता है।
उस एक शख्सियत में समाया सारा जहान सा लगता है।
वो डांट, वो फटकार, वो गुस्सा आज सबमें छुपा एक ज्ञान सा लगता है।
मत पूछो क्या होता है पिता को खोने का दर्द,
सब कुछ मुझे अब वीरान सा लगता है।।
पिता साथ है तो हर हौसला आसमान सा लगता है..।
विनोद विद्रोही
उस एक शख्सियत में समाया सारा जहान सा लगता है।
वो डांट, वो फटकार, वो गुस्सा आज सबमें छुपा एक ज्ञान सा लगता है।
मत पूछो क्या होता है पिता को खोने का दर्द,
सब कुछ मुझे अब वीरान सा लगता है।।
पिता साथ है तो हर हौसला आसमान सा लगता है..।
विनोद विद्रोही
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