एक सबब है मेरी खामोशी के पीछे...

ये जो उजाले तुम्हें दिख रहे हैं,
दरसल अंधेरा है इसे भोर ना समझना।
एक सबब है मेरी खामोशी के पीछे,
मुझे कमजोर ना समझना।।
विनोद विद्रोही

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