राष्ट्रपिता को जयंती पर शत-शत नमन।
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी जयंती पर उन्हें शत-शत नमन।
दोस्तों गांधी जी पर लिखी अपनी एक पुरानी कविता आपसे आज साझा कर रहा हूं। यह कविता मैंने तब लिखी थी जब राजनीतिक महकमों में गांधी और खादी को लेकर काफ़ी हो-हल्ला मचा था। राजनीतिक स्वार्थ के लिये हर कोई गांधी को इस्तेमाल करता दिखाई दे रहा था। हालांकि परिस्तिथियां आज भी वैसी ही हैं। ये पंक्तियां आज भी प्रासंगिक लगती हैं इसलिये सोचा आप लोगों तक पहुंचाई जाये। कविता थोड़ी लम्बी ज़रूर है लेकिन ध्यान से पढ़ोगे तो आपके दिल को ज़रूर छूयेगी
सच बताओ,
ये झगड़ा सचमुच खादी या गांधी कि हस्ती है।
या फ़िर सबके लिये ये लम्हा मौका परस्ती का है।
ये सवाल ना किसी शहर का ना किसी बस्ती का है।
मुझे तो लगता ये सारा मसला ही जबरदस्ती का है।।
क्योंकि अफ़सोस,
गांधी आज नोट में हैं पर विचारों में नहीं,
वोट में हैं पर अधिकारों में नहीं।
सवालों में हैं पर जवाबों में नहीं।
किताबों में हैं पर ख्यालों में नहीं।
उम्मीदों में हैं पर इरादों में नहीं।
कसमों में हैं पर वादों में नहीं।
और गांधी हमारी बातों में हैं पर
जज्बातों में नहीं।।
गांधी आंखों में हैं, पर आंखों
के पानी में नहीं।
गांधी बच्चों में हैं पर जवानी में नहीं।।
गांधी मिट्टी में हैं, पक्के मकानों में नहीं।
झोपड़ियों में हैं, दुकानों में नहीं।।
और गांधी हमारे भूतकाल में हैं,
हमारे वर्तमान में नहीं।
सच तो ये है, गांधी आज शमशान में हैं,
हिन्दुस्तान में नहीं ।।
ऐसे में कौन है गांधी का
सच्चा पुरोधा मेरे सामने आये।
गांधी कि बात करने वाला पहले
खुद गांधी बनकर दिखाये।।
विनोद विद्रोही
नागपुर(7276969415)
दोस्तों गांधी जी पर लिखी अपनी एक पुरानी कविता आपसे आज साझा कर रहा हूं। यह कविता मैंने तब लिखी थी जब राजनीतिक महकमों में गांधी और खादी को लेकर काफ़ी हो-हल्ला मचा था। राजनीतिक स्वार्थ के लिये हर कोई गांधी को इस्तेमाल करता दिखाई दे रहा था। हालांकि परिस्तिथियां आज भी वैसी ही हैं। ये पंक्तियां आज भी प्रासंगिक लगती हैं इसलिये सोचा आप लोगों तक पहुंचाई जाये। कविता थोड़ी लम्बी ज़रूर है लेकिन ध्यान से पढ़ोगे तो आपके दिल को ज़रूर छूयेगी
सच बताओ,
ये झगड़ा सचमुच खादी या गांधी कि हस्ती है।
या फ़िर सबके लिये ये लम्हा मौका परस्ती का है।
ये सवाल ना किसी शहर का ना किसी बस्ती का है।
मुझे तो लगता ये सारा मसला ही जबरदस्ती का है।।
क्योंकि अफ़सोस,
गांधी आज नोट में हैं पर विचारों में नहीं,
वोट में हैं पर अधिकारों में नहीं।
सवालों में हैं पर जवाबों में नहीं।
किताबों में हैं पर ख्यालों में नहीं।
उम्मीदों में हैं पर इरादों में नहीं।
कसमों में हैं पर वादों में नहीं।
और गांधी हमारी बातों में हैं पर
जज्बातों में नहीं।।
गांधी आंखों में हैं, पर आंखों
के पानी में नहीं।
गांधी बच्चों में हैं पर जवानी में नहीं।।
गांधी मिट्टी में हैं, पक्के मकानों में नहीं।
झोपड़ियों में हैं, दुकानों में नहीं।।
और गांधी हमारे भूतकाल में हैं,
हमारे वर्तमान में नहीं।
सच तो ये है, गांधी आज शमशान में हैं,
हिन्दुस्तान में नहीं ।।
ऐसे में कौन है गांधी का
सच्चा पुरोधा मेरे सामने आये।
गांधी कि बात करने वाला पहले
खुद गांधी बनकर दिखाये।।
विनोद विद्रोही
नागपुर(7276969415)
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