धरती के लाल को वंदन ...
धरती के लाल को वंदन:
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व्यक्तित्व उसका ऊंचा,
छोटा कद और काठी था।
वो किसानों का मसीहा,
कमजोरों की लाठी था।।
देश पर न्योछावर कर दिया,
अपना जीवन सारा।
एक मंत्र सा लगता था,
जय जवान जय किसान का नारा।।
वो जब तक जिया अपनी,
ईमानदारी और खुद्दारी से।
वो बात अलग है, वो मौत की नींद
सो गया।
कुछ अपनों की गद्दारी से।।
विनोद विद्रोही
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व्यक्तित्व उसका ऊंचा,
छोटा कद और काठी था।
वो किसानों का मसीहा,
कमजोरों की लाठी था।।
देश पर न्योछावर कर दिया,
अपना जीवन सारा।
एक मंत्र सा लगता था,
जय जवान जय किसान का नारा।।
वो जब तक जिया अपनी,
ईमानदारी और खुद्दारी से।
वो बात अलग है, वो मौत की नींद
सो गया।
कुछ अपनों की गद्दारी से।।
विनोद विद्रोही
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