सवाल दूध में मलाई का है....

सवाल दूध में मलाई का है:
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मेरे घर के पड़ोस में रहने वाले एक मुंहबोले चाचा जी का इलाके में यूं तो काफ़ी रुतबा है। समाजिक कार्यों में भी अक्सर बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं। लेकिन   उनकी एक खासियत ये है कि काम जो भी करते हैं उसमे अपना फायदा ज़रूर देखते हैं। अगर फायदा ना हो तो वो उस काम को छोड़ देते हैं।

काफ़ी साल पहले उन्होंने अपने 3 दशक पुराने दूधवाले को यह कहकर बंद कर दिया कि अब तुम्हारे दूध में मलाई नहीं आ रही है। दूध वाले ने उन्हें काफ़ी समझाया पर वो नहीं माने और  एक दूसरे दूधवाले से नाता जोड़ लिया।

चूंकि उस दूसरे दूधवाले को भी अपना माल बेचना था और चाचा जैसी रुतबेदार चंदी(ग्राहक) मिल जाये तो क्या कहने और फ़िर उसे चाचा के इलाके में भी तो अपना सिक्का ज़माना था। तो उसने चाचा को खूब मलाई वाला कोरा दूध पिलाना शुरू किया। हालांकि चाचा जिस मलाई कि उम्मीद कर रहे थे वो उन्हें अब भी नहीं मिल रही थी। लेकिन पहले के दूधवाले कि तुलना में इसके दूध में मलाई ठीक थी तो चाचा भी चलने दे रहे थे।

वहीं दूधवाला भी समय-समय पर चाचा जी को आश्वाशन देते रहता था की एक दिन उसके दूध से मोटी मलाई उन्हें ज़रूर प्राप्त होगी। लेकिन वो दिन कभी नहीं आया, दूधवाले के दूध की मलाई पहले की भी तुलना में पतली होती चली गयी। चाचा ने दूधवाले को खूब धमकियां देनी शुरू कीं, लेकिन उसका कोई असर नहीं हुआ। चाचा जी को दूध में तभी मजा आता है जब उसमें बढ़िया मलाई मिलती रहे। ऐसे में थक हार कर चाचा जी ने इस दूधवाले को भी बंद कर दिया।

इस दूधवाले को बंद करते ही लोगों ने अटकलें लगाना  शुरू किया की चाचा अब यहां दूध लगायेंगे या वहां दूध लगायेंगे। चाचा ने भी अपने स्तर पर ऐसे नये दूधवाले की काफ़ी तलाश की जो इन्हें मोटी मलाई दे सके, लेकिन सफल नहीं हुये।

अब अपने कुछ खास लोगों से सलाह के बाद, फ़िर से किसी दूधवाले के पास दूध लगाने और फ़िर मलाई के लिये किचकिच करने से बचने के लिये चाचा जी ने खुद की भैंस खरीद ली है। अब देखना ये होगा ये भैंस क्या वाकई चाचा जी को अच्छी मलाई देती है या फ़िर ढेर सारा चारा खाकर, सिर्फ़ गोबर देकर जायेगी।

विनोद विद्रोही
नागपुर(7276969415)

#नारायण राणे #महाराष्ट्र स्वाभिमान पक्ष

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