अपनी ही खता पे संयम खो बैठे।

तुम तो चमकते सूरज भी नहीं,
फ़िर क्यूं इतनी गर्मी दिखा रहे हो।
खुद औकात भूले बैठे हो,
और दूसरे की औकात बता रहे हो।।

अपनी ही खता पर तुम,
अपना ही संयम खो बैठे।
जो कमाया था नाम थोड़ा-बहोत,
वो सारा धो बैठे।।
विनोद विद्रोही

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