आज कितने संवेदनहीन हो गये...

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प्यार तो सब जताते हैं पर किसी में सच्ची भावनायें नहीं।
दिल तो है पर उसमें अब संवेदनायें नहीं।
आधुनिकता के इस दौर में खुद में ही इतने हम अधीन हो गये।
इस कदर डूबे भौतिक सुखों में की संवेदनहीन हो गये।।
विनोद विद्रोही
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