अभी तो सफर में हूं...
अभी तो सफ़र में हूं:
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अभी तो सफ़र में हूं,
अभी कहां मेरे साथ ये ज़माना चलेगा।
मंज़िल बहुत दूर है,
अभी तो ठोकरें और ठुकराना चलेगा।।
कर ना लेना बात तुम उनसे मिलने की,
वर्ना वही व्यस्तता वाला का बहाना चलेगा।
चूंकि हैसियत नहीं तुम्हारी आज
दो कौड़ी की।
तो मुमकिन है तुमपर ही हर निशाना चलेगा।।
अभी-अभी तो दिल टूटता है,
अभी कुछ दिन और नाम अपना
दीवाना चलेगा।
और ख़बर है की वो आये हैं,
चलो..अब फ़िर उनकी गलियों में
आना-जाना चलेगा।।
नया नहीं तो क्या हुआ ले आओ,
सौ का नोट है पुराना चलेगा।
काहे तुम खोले जा रहे हो ये
फिजूल की दुकानें।
ये आशिकों की बस्ती है साहब,
यहां मयखाना या पागलखाना चलेगा।।
जाकर चहेरा ही तो दिखाना है
आराम से जाओ,
अभी तो मुर्दे को नहलाना-धुलाना चलेगा।
ये जो भूख है विद्रोही बड़ी बेशर्म
होती है।
ताजा कहां मांग रहा हूं, पेट
भरने के लिये बासी खाना चलेगा।।
विनोद विद्रोही
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अभी तो सफ़र में हूं,
अभी कहां मेरे साथ ये ज़माना चलेगा।
मंज़िल बहुत दूर है,
अभी तो ठोकरें और ठुकराना चलेगा।।
कर ना लेना बात तुम उनसे मिलने की,
वर्ना वही व्यस्तता वाला का बहाना चलेगा।
चूंकि हैसियत नहीं तुम्हारी आज
दो कौड़ी की।
तो मुमकिन है तुमपर ही हर निशाना चलेगा।।
अभी-अभी तो दिल टूटता है,
अभी कुछ दिन और नाम अपना
दीवाना चलेगा।
और ख़बर है की वो आये हैं,
चलो..अब फ़िर उनकी गलियों में
आना-जाना चलेगा।।
नया नहीं तो क्या हुआ ले आओ,
सौ का नोट है पुराना चलेगा।
काहे तुम खोले जा रहे हो ये
फिजूल की दुकानें।
ये आशिकों की बस्ती है साहब,
यहां मयखाना या पागलखाना चलेगा।।
जाकर चहेरा ही तो दिखाना है
आराम से जाओ,
अभी तो मुर्दे को नहलाना-धुलाना चलेगा।
ये जो भूख है विद्रोही बड़ी बेशर्म
होती है।
ताजा कहां मांग रहा हूं, पेट
भरने के लिये बासी खाना चलेगा।।
विनोद विद्रोही
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