आ एक-दूजे का सहारा बन जायें...

आ एक-दूजे का सहारा बन जायें:

ना हो इस दोस्ती का कोई छोर
ऐसा किनारा बन जायें।
आ मेरे दोस्त एक-दूजे का
सहारा बन जायें।

मतलब की इस दुनिया में कहां
कौन किसी का होता है।
जिसे देखो वो ही ज़िंदगी में
ज़हर सा बोता है।

एक दोस्त ही तो है जो सुख-दुख
हर घड़ी में साथ होता है।
साथ हंसता है, साथ रोता है।
आ वो बीता हुआ दौर दोबारा
बन जायें।
आ मेरे दोस्त एक दूजे का
सहारा बन जायें।

आज भी याद हैं दिन वो
पतझड़ों के,
जब खड़े हो गये थे हाथ
बड़े-बड़ों के।
यूं तो हर ग़म दिल में छुपा
रहा था,
पर सच कहूं दोस्त मन ही मन
तुझे बुला रहा था।

मेरे दोस्त ही तो हैं जो दिलों के
जज्बात समझ जाते हैं।
बिन कहे हर बात समझ जाते हैं।
इस अंधियारे में चमकता हुआ
तारा बन जायें,
आ मेरे दोस्त एक दूजे का
सहारा बन जायें।।

ना हो इस दोस्ती का कोई छोर
ऐसा किनारा बन जायें.....

विनोद विद्रोही

मेरे ह्रदय के करीब रहने वाले सभी मित्रों को समर्पित....मित्रता दिवस की ढेरों शुभकामनाएँ।

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