सियासत ने रिश्तों में डाल दिया है मट्ठा...

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ये तो सियासत है जिसने
रिश्तों में डाल दिया है मट्ठा।
वरना वो भी क्या दिन थे
साथ बैठ एक थाली में खाते
थे इकट्ठा।।
विनोद विद्रोही
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