अच्छे दिन: सवाल बड़े जवाब छोटा
अच्छे दिन पर बड़े सवाल उठाने वालों को छोटा सा जवाब:
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कुंठा से ग्रस्त आखिर कब तक
सरकारों के दिन गिनना होगा।
गर सचमुच है चाहत अच्छे दिन की,
तो खुद भी तुम्हें अच्छा बनना होगा।।
ठंडे पड़े लोहे को आग में,
तपना तो सिखाया।
शुक्र है किसी ने अच्छे दिन का,
सपना तो दिखाया।।
अच्छे दिन कहीं आसमान से तो
नहीं आयेंगे।
ये तो तब ही मुमकिन है जब
सब मिलकर हाथ बटायेंगे।।
विनोद विद्रोही
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कुंठा से ग्रस्त आखिर कब तक
सरकारों के दिन गिनना होगा।
गर सचमुच है चाहत अच्छे दिन की,
तो खुद भी तुम्हें अच्छा बनना होगा।।
ठंडे पड़े लोहे को आग में,
तपना तो सिखाया।
शुक्र है किसी ने अच्छे दिन का,
सपना तो दिखाया।।
अच्छे दिन कहीं आसमान से तो
नहीं आयेंगे।
ये तो तब ही मुमकिन है जब
सब मिलकर हाथ बटायेंगे।।
विनोद विद्रोही
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