तुम जैसों से ही दिल घायल है वतन का...

तुम ही तो कहते हो देश में,
असुरक्षा का महौल है।
फ़िर रोहिंग्यायों के समर्थन
में कैसे ये बोल हैं।

कुछ और नहीं, ये उदाहरण 
तुम्हारे चरित्र के दोगलेपन का।
तुम जैसे से ही दिल घायल है 
मेरे वतन का।।

विनोद विद्रोही 
नागपुर(7276969415)

Comments

Popular posts from this blog

इस ताज्जुब पर मुझे ताज्जुब है...

जिंदगी इसी का नाम है, कर लो जो काम है...

ढंग की मौत का तो इंतजाम कर दो...