हर हाल में सूरज को आना होगा।
एक गीत:
हर हाल में फर्ज अपना निभाना ही होगा।
अंधेरे को चीरकर सूरज को आना ही होगा।
दुखों की रात कट जायेगी, गमों की खाई पट पायेगी।
कभी आंसू तो कभी हंसी, ये ज़िंदगी यूं ही कट जायेगी।।
उजाले को अपना फर्ज निभाना ही होगा।
अंधेरे को चीरकर सूरज को आना ही होगा।।
क्या हुआ जो तेरे अपने तुझे छोड़ गये।
नाजुक से थे रिश्ते आसानी से तोड़ गये।
वो अपनी राह गये, तुझे भी अपनी राह जाना ही होगा।
अंधेरे को चीरकर सूरज को आना ही होगा।।
चूंकि मुफलिसी में हूं तो लोग अब ज्यादा बोलते नहीं।
मेरे जान लेते हैं, अपने राज़ खोलते नहीं।।
दर्द तुझे भी विद्रोही, अब छुपाना ही होगा।
अंधेरे को चीरकर सूरज को आना ही होगा।।
विनोद विद्रोही
नागपुर
हर हाल में फर्ज अपना निभाना ही होगा।
अंधेरे को चीरकर सूरज को आना ही होगा।
दुखों की रात कट जायेगी, गमों की खाई पट पायेगी।
कभी आंसू तो कभी हंसी, ये ज़िंदगी यूं ही कट जायेगी।।
उजाले को अपना फर्ज निभाना ही होगा।
अंधेरे को चीरकर सूरज को आना ही होगा।।
क्या हुआ जो तेरे अपने तुझे छोड़ गये।
नाजुक से थे रिश्ते आसानी से तोड़ गये।
वो अपनी राह गये, तुझे भी अपनी राह जाना ही होगा।
अंधेरे को चीरकर सूरज को आना ही होगा।।
चूंकि मुफलिसी में हूं तो लोग अब ज्यादा बोलते नहीं।
मेरे जान लेते हैं, अपने राज़ खोलते नहीं।।
दर्द तुझे भी विद्रोही, अब छुपाना ही होगा।
अंधेरे को चीरकर सूरज को आना ही होगा।।
विनोद विद्रोही
नागपुर
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