एक खत देश की बेटियों के नाम।
लिखता हूं इक ख़त मैं देश की हर बेटी के नाम।
बेटियों पढ़ लेना तुम इसको छोड़कर हर काम।
यूं तो नाम से तुम्हारे देश में कई अभियान चल रहे हैं।
लेकिन इन अभियानों के ना आज ना तो कोई कल रहे हैं।।
तुम्हारे सम्मान के लिये हर तरफ दिखावा होगा।
पर सच कहूं कदम-कदम पर साथ तुम्हारे छलावा होगा।।
दिन के उजाले में जो लोग बेटियों पर बड़े-बड़े भाषण झाड़ते हैं।
रात के अंधेरे में यही लोग किसी अबला के कपड़े फाड़ते हैं।।
लेकिन बेटियों तुम घबराना नहीं, तुम्हें अपनी ताकत को पहचानना होगा।
देश ने पहले भी माना है, आगे भी तुम्हारे नाम का लोहा मानना होगा।।
मुझसे विश्वास है तुमपर, तुम्हें जो कहना है वो सबसे कही दोगी।
हां तुम सीता ज़रूर हो, लेकिन हर दौर में तुम अग्निपरीक्षा नहीं दोगी।।
तुम दुर्गावति हो, पद्मवति हो, तुम ही रानी लक्ष्मीबाई हो।
तो कभी देश की खातिर बेटा कटा देने वाली पन्ना दाई हो।।
तो बेटियों अपने अस्तित्व की नाव तुम्हें ही खेना है, अब ये पतवार उठा लो।
गर सियासत तुम्हारा इस्तेमाल करे, तो ये सरकार उठा लो।।
बेटियों अपने सम्मान की गिरी अब हर दीवार उठा लो।
जो भेड़िये हद से आगे बढ़ने लगें तो चूड़ी वाले हाथों में तलवार उठा लो।।
#स्वरचित
विनोद विद्रोही
नागपुर
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