हार को मील का पत्थर बनायेंगे...
इन मायूसियों से ही उम्मीद की,
नई किरण निकलेगी।
हिमालय है तो क्या हुआ बर्फ
इसकी भी पिघलेगी।
तुम डंटी रहो पूरे दम-खम से,
इस हार को मील का पत्थर बनायेंगे।
बस दिल टूटा है हौसला नहीं,
दुश्मन की छाती पर चढ़कर विजयी
तिरंगा लहरायेंगे।।
विनोद विद्रोही
जय हिन्द
नई किरण निकलेगी।
हिमालय है तो क्या हुआ बर्फ
इसकी भी पिघलेगी।
तुम डंटी रहो पूरे दम-खम से,
इस हार को मील का पत्थर बनायेंगे।
बस दिल टूटा है हौसला नहीं,
दुश्मन की छाती पर चढ़कर विजयी
तिरंगा लहरायेंगे।।
विनोद विद्रोही
जय हिन्द
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