तिल भर भी गांधी बनकर दिखाओ....

सच बताओ ये झगड़ा सचमुच खादी या गांधी की हस्ती का है,
या फिर ये लम्हा सबके के लिए सिर्फ मौका परस्ती का है।
ये सवाल ना किसी शहर, ना किसी बस्ती का है,
मुझे तो लगता ये सारा मसला जबरदस्ती का है।।

क्योंकि अफसोस, गांधी नोट पर हैं, पर विचारों में नहीं,
गांधी वोट पर हैं पर अधिकारों में नहीं,
सवालों में हैं जवाबों में नहीं, किताबों में हैं ज्जबातों में नहीं।
उम्मीदों में हैं इरादों में नहीं, कसमों में हैं वादों में नहीं,
आखों में हैं पानी में नहीं, बचपन में हैं जवानी में नहीं।
गांधी मिट्टी में हैं मकानों में नहीं, झोपड़ियों में हैं दुकानों में नहीं,
और गांधीं भूतकाल में हैं, वर्तमान में नहीं,
सच तो ये है गांधी आज शमशान में हैं, हिंदुस्तान में नहीं।।

ऐेसे में कौन है गांधी का सच्चा पुरोधा मेरे सामने आए.
गांधी की बात करने वाला तिल भर भी गांधी बनकर दिखाए।।
विनोद विद्रोही

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