दुश्मन के घर में घुसकर उसकी हड्डी तोड़ी है।
देश पर उठने वाली हर आँखें हमने फोड़ी है, दुश्मन के घर में घुसकर उसकी हड्डी तोड़ी है। याद करेगा तू सदियों तक ऐसी छाप छोड़ी है, नेस्तानाबूत हो जाएगा तू, बस बची कसर थोड़ी है। वो चट्टान हैं हम जिसके आगे तू कौड़ी है, दुश्मन के घर में घुसकर उसकी हड्डी तोड़ी है। अपने किए पर एक दिन तू खुद शर्माएगा, आस्तीन का सांप सदा यूं ही कुचला जाएगा। कांटे बोने वाला भला फूल कहां से लाएगा, दिन दूर नहीं जब लाहौर में तिरंगा लहराएगा। देश प्रेम की गाथा में नई पंक्ति हमने जोड़ी है, दुश्मन के घर में घुसकर उसकी हड्डी तोड़ी है। तेरी करतूतों का तेरी ही जुंबा में जवाब दिया है, कभी ना होगा पूरा कश्मीर का ऐसा ख्वाब दिया है। फंदा तेरी गर्दन के लिए अब हमने नाप दिया है, तेरे दिए जख़्मों का सूत समेत हिसाब दिया है। गर्व से छाती आज सचमुच 56 इंच चौड़ी है. दुश्मन के घर में घुसकर उसकी हड्डी तोड़ी है। विनोद यादव