कैसे हाथों में मेरा भारत भाग्य विधाता है....

वाह रे राजनीति तेरी भी क्या माया है,
तेरी हरकतों से विद्रोही शर्माया है..
कहीं देश का बचपन भूख से मर जाता है,
तो कहीं आत्महत्या करने वाला भी शहीद कहलाता है।
ये सोचकर मेरे मन भर आता है,
कैसे हाथों में मेरा भारत भाग्य विधाता है।

देश का ये सिस्टम मेरे समझ में नहीं आता है,
कैसा ये दिखता है और क्या ये दिखाता है।
सीने पर गोली खाने वाले की कीमत 10 लाख लगाता है,
जबकि जहर खाकर मरने वाला 1 करोड़ पा जाता है।
इन बेशर्मों का सिर्फ और सिर्फ वोट से  नाता है,
कैसे हाथों में मेरा भारत भाग्य विधाता है।

आत्महत्या करने वाला भी यदि शहीद का तमगा पाएगा,
सीमा पर जान गंवानेवाला आखिर क्या कहलाया जाएगा।
शहीदों की चिंताओं पर रोटी सेकनेवाले, क्या जानों शहादत क्या होती है।
तुम जैसों से ही मेरी भारत मां सौ-सौ आंसू रोती है।
तुम्हारी करतूतों से खून मेरा खौल जाता है,
कैसे हाथों में मेरा भारत भाग्य विधाता है।

विनोद विद्रोही

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