अब तो इस्तीफा ले लो तुम रेलवे के गुनहगारों से....

कब तक बूढ़ी पटरियों पर मौत की रेल चलती रहेगी...आखिर कब तक बेबस जनता यूँ ही हाथ मलती रहेगी।                ये आवाज़ हैं विद्रोही की देश की सरकारों से....कब तक भागोगे तुम रेल  हादसों पर किनारों से...लाचार जनता देख रही तुम्हारी ओर धिक्कारों से....अब तो इस्तीफा ले लो तुम रेलवे के गुनहगारों से॥                                                    विनोद विद्रोही

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