भारत मां के ऐसे लालों को गद्दार बताते हो।।
विरोध के इन सुरों को अधिकार बताते हो,
बांटकर भी नफरत खुद को वफादार बताते हो।
स्वार्थ के लिए जाने किन-किन चीजों को स्वीकार बताते हो,
आतंकी के परिवारों को भी मदद का हकदार बताते हो।
फांसी के फंदे पर झूल गए जो देश की खातिर,
भारत मां के ऐसे लालों को तुम गद्दार बताते हो।।
विनोद विद्रोही
बांटकर भी नफरत खुद को वफादार बताते हो।
स्वार्थ के लिए जाने किन-किन चीजों को स्वीकार बताते हो,
आतंकी के परिवारों को भी मदद का हकदार बताते हो।
फांसी के फंदे पर झूल गए जो देश की खातिर,
भारत मां के ऐसे लालों को तुम गद्दार बताते हो।।
विनोद विद्रोही
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