देश के सरकारी अस्पतालों का कड़वा सच....

आज कुछ काम से सरकारी अस्पताल जाना हुआ, वहां का दर्श्य देखकर दिल से कुछ पंक्तियां निकली।

कोई मतलब नहीं है तुम्हारे झूठे दिखावों और तर्क का,
सरकारी अस्पताल जाते ही आज भी एहसास हो जाता है नर्क का।
कागजों पर बनी विकासी योजनाओं से भले तुमने अपनी छवि को सुधारा है,
लेकिन कभी एक चक्कर तो लगाओ सरकारी अस्पतालों का,
मालुम पड़ेगा ये देश कितना बेचारा है।
क्या डॉक्टर, क्या कॉम्पॉउंडर सब अपनी-अपनी से मस्त हैं,
मरीज और उसके रिश्तेदार हैं कि हाथ जोड़-जोड़ के त्रस्त हैं।
हर कोई यहां डूबा है सम्सयाओं के समंदर में,
इन्हें नहीं मिलता कोई किनारा है....
सचमुच सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तां हमारा है।।
विनोद विद्रोही

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