राम राज का सपना, एक सपना ही रह जाएगा...

गधे-घोड़ों से लेकर श्मशान तक जा पहुंचे,
नेताओं के बयान दिवाली से रमजान तक जा पहुंचे।
नहीं की बात किसी ने ऐसी जो इंसान से इंसान तक जा पहुंचे,
कहां गायब हुई वो मिठास जो हर किसी की जबान तक जा पहुंचे।
क्या राजनीति का सिर्फ यही पैमाना है,
कैसे भी करके बस सत्ता हथियाना है।

ऐसे में आम आदमी लगता फिर से छला जाएगा,
राम राज का सपना, एक सपना ही रह जाएगा।।
विनोद विद्रोही

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