आज जयंती पर बजरंगबली से मेरी विनंति। मन की ये विवशता, ये उलझन कैसे हम सुलझायें, हे बजरंग बली दूर करो सारी बाधायें।। और लंका दहन के लिये अब सात समंदर पार ना जायें, क्योंकि देश के भीतर ही अब बन चुकी हैं कई लंकायें।। जगह-जगह रावणों सा आचरण हो रहा है, गली-गली में सीता का हरण हो रहा है। जटायु तो अब यहां कोई दिखता नहीं, सरेआम मानवीय मूल्यों का मरण हो रहा है।। शासन-प्रशासन सबमें आया एक भूचाल है, ये मत पूछो देश में राम-राज़ का कैसा हाल है। खुद तुम्हारे राम के आस्तित्व पर ही यहां सवाल है, और राज करने का तो हर किसी के मन में ख्याल है।। दूध-दही नहीं अब खून की नदियां यहां बहती है। कैसे बताऊं राम के इस देश में जनता कैसे रहती है।। अब गदा उठाओ या पूंछ में आग लगाओ, कुछ भी करो देश के रावणों से हमें बचाओ।। विनोद विद्रोही 🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁 पसंद आए तो शेयर करें संपर्क सूत्र - 07276969415 नागपुर, Blog: vinodngp.blogspot.in Twitter@vinodvidrohi