Posts
Showing posts from October, 2017
बस यूं ही: व्यक्ति स्वाभाव
- Get link
- X
- Other Apps
बस यूं ही: हम मल्टीप्लेक्स में कोई फिल्म देखने जाते हैं तो केवल 3 घंटे के भीतर 1000-500 रुपये खुशी-खुशी उड़ा देते हैं। लेकिन जब महीने के आखिरी में केबल वाला महीने भर केबल देखने के 250-300 रुपये मांगने आता है तो कुछ लोग ऐसे नाक-मुंह सिकोड़ते हैं, जैसे उसने जायदाद मांग लिया हो। "तेरा तो केबल ही ढंग से नहीं आता, रोज लाइट जाती है। स्टार स्पोर्ट्स क्यों नहीं आता, फ्लां चैनल क्यों नहीं आता और जाने क्या-क्या कथायें केबल वाले को सुनाते हैं।" 😊 😊 मौलिक विनोद विद्रोही नागपुर
हां...गब्बर जिंदा है!
- Get link
- X
- Other Apps
हां..गब्बर जिंदा है: **************** आज शोले का ठाकुर खूब झल्लाया है, जय-वीरू पर उसने धोखाधड़ी का आरोप लगाया है। ठाकुर बोला तुम और तुम्हारे काम दोनों नकारा हैं। पैसे लेकर भी तुमने गब्बर को नहीं मारा है।। जिसे देखो गब्बर का काम बता रहे हैं। और तो और अब तो टैक्स पर भी गब्बर का नाम बता रहे हैं। अरे अपने किये वादों को क्यों तुमने तोड़ दिया। आखिर क्या मजबूरी थी जो तुमने गब्बर को जिंदा छोड़ दिया।। जय-वीरू बोले ठाकुर साहब आपके सामने ही तो गब्बर ताबूत में पैक हुआ था। लेकिन ये क्यों भूल जाते हो कुछ दिन पहले ही तो.... "गब्बर इज बैक" हुआ था। ठाकुर साहब गब्बर को लेकर हम ताउम्र शर्मिंदा रहेंगे। क्योंकि कितने ही गब्बर हम मार लें, लेकिन हर दौर में गब्बर जिंदा रहेंगे।। इतने में लड़खड़ाती जबान में रहीम चाचा बोले.... तुम लोग खामखां परेशां होते हो, गब्बर वो घी है जो कभी नहीं पिघलेगा। और कितने गब्बर मारोगे हर घर से गब्बर निकलेगा।। विनोद विद्रोही नागपुर 7276969415
हां सच है...भावनाओं को समझो।
- Get link
- X
- Other Apps
हां सच है...भावनाओं को समझो: ************************** यूं तो आज काम बहुत थे, लेकिन एक दोस्त के जिद करने उसके साथ दोपहर 12 बजे एक कंपनी के वेयर हाउस(गोदाम) में जाना पड़ा। दोस्त घर पर लेने आया, फिर उसकी बाइक पर बैठकर हम चल दिये। रास्ते भर में बात-चीत करते 20 किलोमीटर का सफ़र आसानी से खत्म हो गया। हम कंपनी के गोदाम पहुंचे। कंपनी बड़ी थी इसलिये यहां सुरक्षा व्यवस्था भी पर्याप्त दिखी। अंदर जाते समय सुरक्षा गार्ड ने जरूरी जानकारियां अपने रजिस्टर में दर्ज की और हमें जाने के लिये कहा। मैं उसकी ओर मुस्कुरा कर देखा और धन्यवाद कह कर आगे बढ़ा ही था की उसने मुझे टोका और कहा "सर कहां से हो"। उसका इतना कहना था की मेरे मित्र ने मेरा हाथ पकड़कर बोला "अबे छोड़ना यार चल अंदर चलें"। दोस्त की बात को दरकिनार करते हुये मैं सुरक्षा गार्ड के पास गया और बोला वैसे तो नागपुर रहता हूं,. किंतु मूलतः हम इलाहबाद के पास प्रतापगढ़ के हैं। इतना कहकर मैं आगे बढ़ गया। लेकिन इलाहबाद-प्रतापगढ़ का नाम सुनकर सुरक्षाकर्मी के चेहरे पर जो कौतुहलता दिखी उससे मैं समझ गया हो ना ये शख्स भी वहीं-कहीं आसपा...
कलाम साहब को जन्मदिन की ढेरों शुभकामनाएं।
- Get link
- X
- Other Apps
आज जन्मदिन पर पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम जी को समर्पित। मुफलिसी का जीवन था ध्यान लक्ष्य से फिर भी हटा नहीं। कोशिशें तो बहुत हुई उसे बांटने की, वो शक्स फिर भी बंटा नहीं। मज़हब की दीवारें कभी रोक ना पायी उसका रास्ता। इंसानियत को ही उसने इबादत बना लिया। वतन के नाम कर दिया सारा जीवन। देशभक्ति को उसने आदत बना लिया।। उस मिसाइल मैन का जीवन ही एक मिसाल है। कभी बुझने ना देना जलाये रखना, जला के गया जो वो मशाल है।। ऐ मेरे देश के फूलों जो ना घबराए तुम कभी कांटों की पनाहों में। बाहें फैलाया कलाम मिलेंगे तुम्हें हर गली चौराहों में।। विनोद विद्रोही जन्मदिन की ढेरों शुभकामनाएं।💐💐
....है शायद!
- Get link
- X
- Other Apps
.....है शायद! *************** नज़रें बार-बार मुड़कर किसी को ढूंढती हैं। लगता है किसी ने पुकारा है शायद।। इस दिल का कोई इलाज मुमकिन नहीं। फिर हुआ इसे वही वहम दोबारा है शायद।। कल दूर से देखते ही फेर ली थीं नज़रें उसने। अभी-अभी नज़रों से उतारा है शायद।। चांद सुबक रहा है ओढ़े बादलों की एक चादर। टूटा फिर कोई सितारा है शायद।। और यूं अचानक हाथ क्यों छोड़ दिया तुमने । मिल गया कोई किनारा है शायद।। विनोद विद्रोही नागपुर
बिन पटाखे दीवाली सून!
- Get link
- X
- Other Apps
आम जन की भावनाओं पर इस कदर नहीं वार करना चाहिये। सम्माननीय न्यायलय को अपने फैसले पर पुनः विचार करना चाहिये।। माना पटाखे घात हैं स्वच्छ वातावरण के संकल्पों पर। किंतु पहले नज़र तो डालो इसको दूषित करने वाले अन्य विकल्पों पर।। दीवाली तो साल में एक बार ही मनाते हैं। पर उनका क्या साहब, जो रोज प्रदूषण फैलाते हैं।। अदालत के हर फैसले को, मेरी कलम सदा सम्मान कहेगी। पर सच तो ये भी है ये दीवाली ऊंची दुकान और फीका पकवान रहेगी।। सुन लो गर ना तुमने अब तक सुना होगा। प्रजा जश्न मनायेगी और दरबार सूना होगा।। विनोद विद्रोही नागपुर(7276969415)
कसूरवार कौन....?
- Get link
- X
- Other Apps
दो अलग-अलग विचारधाराओं के हम दो दोस्त फेसबुक और वट्स-एप पर खूब लड़े। लेकिन जब मिले तो मिलते ही गले लग गये। उसने कहा अबे तू पतला हो गया, मैंने कहा तू मोटा हो गया। उसने कहा पार्टी कहां दे रहा मैंने कहा तू जहां बोल। हम दोनों दोस्त अपने स्कूल के दिनों और बचपन में खो गये। ऐसा लगा ही नहीं हमारी विचारधाराएं अलग हैं या हम लड़े हैं। सारा दिन मस्ती के बाद हम दोनों फ़िर लगे मिले और अपने-अपने घर चले गये। घर पहुंचकर फेसबुक वट्स-एप पर फ़िर विवाद जारी है।। विनोद विद्रोही #सोशल मीडिया
देख ले गांधी ये तेरे ही देश के लाल हैं।
- Get link
- X
- Other Apps
देख ले गांधी ये तेरे ही देश के लाल हैं। तेरे विचार छोड़ो, तेरी हत्या तक पर उठा रहे सवाल हैं।। ये वही लोग हैं जो तुझे कहते तो हैं राष्ट्रपिता। लेकिन इनके लिये तू अब तक है एक दहकती हुई चिता।। जिसपर ये अपने स्वार्थ की रोटी अक्सर सेंकते हैं। गांधी नामक गेंद कभी इस तो कभी उस पाले में फेंकते हैं।। ये जिसपर बैठे हैं, काट रहे वही डाल हैं। तेरे ही देश में गांधी तेरे बड़े बुरे हाल हैं।। देख ले गांधी ये तेरे ही देश के लाल हैं.... विनोद विद्रोही नागपुर(7276969415) #फ़िरखुलेगागांधीहत्याकेस
इंसान खुद यहां भगवान बन बैठे!
- Get link
- X
- Other Apps
ये अंध नतमस्तकी है, श्रद्धा से दिया कोई तोहफ़ा नहीं है। और ये कानून की कुर्सी है, तुम्हारे घर का सोफा नहीं है।। अस्थियां विसर्जित कर दी हैं तुमने अपनी अन्तरात्माओं जी। तभी तो चल रही हैं दुकानें, पाखंड के इन आकाओं की।। राम नाम का जाप करने वाले, ये दिल से हैवान बन बैठे। ऐ मेरे मालिक नहीं रही तेरी ज़रूरत अब यहां। इंसान खुद यहां भगवान बन बैठे।। विनोद विद्रोही नागपुर(7276969415)
...कि पैसा बोलता है!
- Get link
- X
- Other Apps
...पैसा बोलता है हाल क्या है दिल का, ये कोई ना जानत है। जिसे लेकर भागे तुम, वो हमारी गाढ़ी कमाई और अमानत है।। चट गिरफ्तारी और पट, मिल जाती जमानत है। ऐसी लचर व्यवस्था पर, सिर्फ़ और सिर्फ़ लानत है।। हथकड़ियों में हों कितने ही ताले, ये सब खोलता है। सच ही कहा है लोगों ने, कि पैसा बोलता है।। विनोद विद्रोही नागपुर(7276969415) #विजयमाल्या #गिरफ्तारी
धरती के लाल को वंदन ...
- Get link
- X
- Other Apps
धरती के लाल को वंदन: ******************** व्यक्तित्व उसका ऊंचा, छोटा कद और काठी था। वो किसानों का मसीहा, कमजोरों की लाठी था।। देश पर न्योछावर कर दिया, अपना जीवन सारा। एक मंत्र सा लगता था, जय जवान जय किसान का नारा।। वो जब तक जिया अपनी, ईमानदारी और खुद्दारी से। वो बात अलग है, वो मौत की नींद सो गया। कुछ अपनों की गद्दारी से।। विनोद विद्रोही
राष्ट्रपिता को जयंती पर शत-शत नमन।
- Get link
- X
- Other Apps
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी जयंती पर उन्हें शत-शत नमन। दोस्तों गांधी जी पर लिखी अपनी एक पुरानी कविता आपसे आज साझा कर रहा हूं। यह कविता मैंने तब लिखी थी जब राजनीतिक महकमों में गांधी और खादी को लेकर काफ़ी हो-हल्ला मचा था। राजनीतिक स्वार्थ के लिये हर कोई गांधी को इस्तेमाल करता दिखाई दे रहा था। हालांकि परिस्तिथियां आज भी वैसी ही हैं। ये पंक्तियां आज भी प्रासंगिक लगती हैं इसलिये सोचा आप लोगों तक पहुंचाई जाये। कविता थोड़ी लम्बी ज़रूर है लेकिन ध्यान से पढ़ोगे तो आपके दिल को ज़रूर छूयेगी सच बताओ, ये झगड़ा सचमुच खादी या गांधी कि हस्ती है। या फ़िर सबके लिये ये लम्हा मौका परस्ती का है। ये सवाल ना किसी शहर का ना किसी बस्ती का है। मुझे तो लगता ये सारा मसला ही जबरदस्ती का है।। क्योंकि अफ़सोस, गांधी आज नोट में हैं पर विचारों में नहीं, वोट में हैं पर अधिकारों में नहीं। सवालों में हैं पर जवाबों में नहीं। किताबों में हैं पर ख्यालों में नहीं। उम्मीदों में हैं पर इरादों में नहीं। कसमों में हैं पर वादों में नहीं। और गांधी हमारी बातों में हैं पर जज्बातों में नहीं।। गांधी आंखों में हैं, पर...
सवाल दूध में मलाई का है....
- Get link
- X
- Other Apps
सवाल दूध में मलाई का है: ************************ मेरे घर के पड़ोस में रहने वाले एक मुंहबोले चाचा जी का इलाके में यूं तो काफ़ी रुतबा है। समाजिक कार्यों में भी अक्सर बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं। लेकिन उनकी एक खासियत ये है कि काम जो भी करते हैं उसमे अपना फायदा ज़रूर देखते हैं। अगर फायदा ना हो तो वो उस काम को छोड़ देते हैं। काफ़ी साल पहले उन्होंने अपने 3 दशक पुराने दूधवाले को यह कहकर बंद कर दिया कि अब तुम्हारे दूध में मलाई नहीं आ रही है। दूध वाले ने उन्हें काफ़ी समझाया पर वो नहीं माने और एक दूसरे दूधवाले से नाता जोड़ लिया। चूंकि उस दूसरे दूधवाले को भी अपना माल बेचना था और चाचा जैसी रुतबेदार चंदी(ग्राहक) मिल जाये तो क्या कहने और फ़िर उसे चाचा के इलाके में भी तो अपना सिक्का ज़माना था। तो उसने चाचा को खूब मलाई वाला कोरा दूध पिलाना शुरू किया। हालांकि चाचा जिस मलाई कि उम्मीद कर रहे थे वो उन्हें अब भी नहीं मिल रही थी। लेकिन पहले के दूधवाले कि तुलना में इसके दूध में मलाई ठीक थी तो चाचा भी चलने दे रहे थे। वहीं दूधवाला भी समय-समय पर चाचा जी को आश्वाशन देते रहता था की एक दिन उसके दू...