उसकी नापाक हरकतों से होती हर वक्त परेशानी, कितना भी समझाओ उसको, वो करता जाता मनमानी। उसकी दोगुली बातों पर मुझको होती बड़ी हैरानी, अरे हमने गर घूर के भी देखा, तो मांगेगा तू पानी, संभल जा ऐ पाक वर्ना खौल उठेगा खून हिन्दुस्तानी। छोड़ दे अब ये दरिंदगी, बंद कर अब तू शैतानी, अमन के बदले घोंपे पीठ में खंजर , ऐसा पड़ोसी तू बेईमानी, सरहद पर काटे सिपाहियों के सिर , है कोई राक्षस तू हैवानी । भूले नहीं हैं, ना भूलेंगे दी है हमने जो कुर्बानी , संभल जा ऐ पाक , वर्ना खौल उठेगा खून हिन्दुस्तानी। ना ले इम्तिहान हमारे सब्र का , ना बन तू इतना अभिमानी, गर उठा ली हमने भी बंदूक , शर्माएगा होने पर तू पाकिस्तानी। मत भूल 71 में तू हारा था , कारगिल में तुझको दौड़ा के मारा था। भीख में दिए थे 65 करोड़ , जब हुआ बंटवारा था। एक दिन खुद में हो जाएगा तू दफन , छोड़ दे अब ये कारसतानी , संभल जा ऐ पाक , वर्ना खौल उठेगा खून हिन्दुस्तानी। कश्मीर का तुझको लालच , चीन के दम पर भरता तू दम , तेरी आंखों में जेहाद , लेकिन नीयत में आतंकवाद पनपता हरदम। ...