जो कुत्ते तूने पाले हैं एक दिन तुझे ही काट खायेंगे...
नजरबंदी का ये नाटक नहीं लगता है सच्चा, ऐ पाकिस्तान तूने समझा है क्या हमको बच्चा। हम खूब जानते हैं तेरी चालों को, पनाह देता आया है तू आतंक के दलालों को। लादेन का हश्र देखकर अब तक तू घबराया है, हाफिज को बचाने के लिए नजरबंदी का जाल बिछाया है। आतंक के ये ठेकेदार तेरे सिर चढ़ जाएंगे, जो कुत्ते तूने पाले हैं एक दिन तुझे ही काट खायेंगे।। नजरबंदी जवाब नहीं है हमारे सवालों का, रक्त सूखा नहीं है अब तक भारत मां के लालों का। 26/11 के जख्म आज भी हरे हैं, तुकाराम ओंबले की पत्नी की आंखों में आंसू भरे हैं। नहीं भूलें हैं हम संदीप उन्नीकृष्णन, करकरे, कामटे की शहादत को, सैंकड़ों जानें लेने वाली उस आफत को। आंखों में आज भी वो जलता हुआ ताज दिखाई देता है, इस आग को लगाने वाला सरताज दिखाई देता है। अरे अपनी प्रमाणिकता का तुम एक तो सबूत दो, नजरबंदी नहीं, हाफिज को हमें सौंप दो। तब मानेंगे तुम आतंक के प्रशंसक नहीं हो, हाथों में चूंड़ियां पहन कर बैठे नपुंसक नहीं हो।। विनोद विद्रोही