ये घाटी आज फ़िर वही जूनून मांग रही है...
इंसानियत चीख-चीख कर सुकून मांग रही है।
कश्मीर की धरती है की रोज-रोज खून मांग रही है।।
जिस वतनपरस्ती से आजाद कराया था ये मुल्क,
ये घाटी आज फ़िर वही जूनून मांग रही है।।
विनोद विद्रोही
कश्मीर की धरती है की रोज-रोज खून मांग रही है।।
जिस वतनपरस्ती से आजाद कराया था ये मुल्क,
ये घाटी आज फ़िर वही जूनून मांग रही है।।
विनोद विद्रोही
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