कश्मीर के पत्थरबाजों को मेरी सलाह...

क्यों देश की नजरों में दगाबाज बने हुए हो,
चंद कागज के टुकड़ों के लिए पत्थरबाज बने हुए हो।
अमन प्रेमी हम, मुरीद हैं स्वर कोकिला के,
फिर क्यों तुम कौवों की आवाज़ बने हुए हो।।

तुम्हें भड़काने वाले डायर बने हुए हैं,
पत्थरबाजों के लिए पीछे छुपकर कायर बने हुए हैं।
अरे उठो और पहचानों अपनी ताकत को,
खत्म कर दो अलगाववाद और देशद्रोह जैसी आफत को।

कसम है तुमको कश्मीर की लुटती हुई जवानी की,
दशहत के साये में सिसकती हिचकियों और
आखों में सूख चुके पानी की।
कश्मीर नहीं, देश का मुकुट तुम्हें बचाना है,
अलगाववाद के खिलाफ जीना और मर जाना है।।

जिस दिन तुम ऐसा कर जाओगे,
मानों यकीन सच्चे वतन परस्त कहलाओगे।
कलम विद्रोही की तुम्हारे सम्मान के गीत गायेगी,
कश्मीर की ये धरती फिर से स्वर्ग बन जाएगी।।

विनोद विद्रोही

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