अपने लहू से सींचा है इस घाटी को...

लहू के एक-एक क़तरे से सींचा है,
हमने कश्मीर की इस घाटी को।
गर्दन धड़ से अलग कर देंगे,
जो नापाक हाथ लगे इस माटी को।।
अरे जड़ से उखाड़ फेंको पेड़ ये बबूलों के,
ये परिणाम हैं देश के कुछ आला नेताओं के भूलों के।।
विनोद विद्रोही

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