वन्दे मातरम इसका नहीं कोई धर्म....

दुख सिर्फ़ इतना है, नहीं और कोई गुरेज है,
अमन की इस फुलवारी में ये कांटों की सेज है।।
लगता है कुछ लोगों के डीएनए में रह गये अंग्रेज हैं।
तब ही तो उन्हें वन्दे मातरम,
और मां भारती के जयकारे से परहेज़ है।।
बेशक वन्दे मातरम गाना या ना गाना,
एक निजी अधिकार है।
वो बात अलग है इस देश के तुम बाशिन्दे हो,
इस पर मुझे धिक्कार है।।
विनोद विद्रोही

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